HomeAdivasi Dailyजातीय हिंसा शुरू होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर...

जातीय हिंसा शुरू होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह से मुलाकात की

पिछले साल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेई लोगों और पहाड़ी में रहने वाले कुकी-ज़ो आदिवासी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और 60 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर (Manipur) के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने रविवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से मुलाकात की. साल 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से यह उनकी मोदी के साथ पहली मुलाकात है.

माना जा रहा है कि यह मुलाकात मणिपुर की स्थिति पर हुई है. यह मुलाकात राज्यपाल अनुसुइया उइके को उनके पद से हटाए जाने और असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने के कुछ ही घंटों बाद हुई.

मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से सिंह ने सिर्फ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है, जिसकी सबसे हालिया मुलाकात इस साल फरवरी में हुई थी.

वैसे लोकसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद शाह ने जून में राज्य की उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा की थी.

जिसमें केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो प्रमुख तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, सेना प्रमुख (पदनाम) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, जीओसी 3 कोर एचएस साही, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी, मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह और असम राइफल्स के डीजी प्रदीप चंद्रन नायर शामिल हुए थे. हालांकि, इस बैठक में सीएम सिंह शामिल नहीं हुए थे.

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाने के बाद RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने जोर देकर कहा था कि शांति सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. भागवत ने एक साल बाद भी मणिपुर में शांति न होने पर चिंता व्यक्त की थी.

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री और सीएम सिंह की मुलाकात की कोई तस्वीर क्यों नहीं है.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज सुबह, खबर सामने आई है कि मणिपुर के विवादास्पद मुख्यमंत्री ने नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के साथ एक छोटे-से बंद कमरे में बैठक की, जिसमें स्वयंभू चाणक्य और रक्षा मंत्री भी मौजूद थे. आमतौर पर जब ऐसी बैठकें होती हैं तो तस्वीरें एक्स पर पोस्ट की जाती हैं. लेकिन न तो नरेंद्र मोदी और न ही एन बीरेन सिंह ने ऐसा किया. ऐसी उदासीनता क्यों? या वास्तव में बैठक हुई ही नहीं?”

मणिपुर पर प्रधानमंत्री की कथित चुप्पी को लेकर भाजपा पर विपक्ष के भारी दबाव के बीच यह बैठक हुई.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संयुक्त संबोधन के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के भाषण को विपक्ष ने दो घंटे से अधिक समय तक बाधित किया था, जिसके चलते लोकसभा में मणिपुर के नारे लगे थे.

अबतक प्रधानमंत्री को मणिपुर जाने की जरूरत महसूस नहीं हुई – शरद पवार

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सुप्रीमो शरद पवार ने नवी मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मणिपुर हिंसा से ठीक तरीके से नहीं निपटने के लिए केंद्र सरकार पर हमला किया.

उन्होंने ख़ासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की. क्योंकि उन्होंने संघर्षग्रस्त मणिपुर का अभी तक दौरा करके वहां के निवासियों को सांत्वना नहीं दी.

शरद पवार ने मणिपुर में संकट को दूर करने में सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर जोर दिया.

पवार ने रविवार को अपने संबोधन में कहा, “जब एक राज्य (मणिपुर) पर इतना बड़ा संकट आया है तो वहां के लोगों की जिम्मेदारी है कि वे इस संकट का डटकर मुकाबला करें, लोगों को भरोसा दिलाएं, समाज में एकता लाने की कोशिश करें और कानून-व्यवस्था की रक्षा करें. लेकिन आज के शासकों ने उस तरफ देखा तक नहीं है. मणिपुर में इतना कुछ होने के बाद भी देश के प्रधानमंत्री को वहां जाकर लोगों को सांत्वना देने की जरूरत महसूस नहीं होती.”

उन्होंने मणिपुर में दो समुदायों के बीच सद्भाव में आई गंभीर कमी की ओर इशारा किया और लंबे समय से चले आ रहे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की ओर इशारा किया, जो अब बिखर चुका है.

पवार ने कहा, “कुछ दिन पहले किसी के भाषण में मणिपुर का जिक्र आया था. देश की संसद में इस पर चर्चा हुई. मणिपुर के अलग-अलग धर्म, जाति और भाषा के लोग दिल्ली में हमसे मिलने आए और उन्होंने बताया कि यह छोटा सा राज्य जो कभी मिलजुलकर रहता था, अब अशांत हो गया है. दो समुदायों के बीच संघर्ष है, लोगों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं, खेती बर्बाद हो गई है और यहां तक ​​कि महिलाओं के साथ खून-खराबा भी हुआ है. जो लोग कभी एक-दूसरे के साथ मिलजुलकर रहते थे, वे आज एक-दूसरे से बात करने को भी तैयार नहीं हैं.”

करीब 37 लाख की आबादी वाले मणिपुर में अदालत के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को घाटी और पहाड़ों में रहने वाले दो समुदायों के बीच ऐसी जंग छिड़ गई जिसका आज अंत नहीं हो रहा.

पिछले एक साल से भी अधिक समय में मणिपुर ने बहुत कुछ खोया है. इस जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई, हज़ारों घर जला दिए गए. बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा है, बड़ी संख्या में लोग लापता हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments