ओड़िशा के राउरकेला स्टील प्लांट (RSP) की नई रेल लाइन का विरोध करते हुए आदिवासी समुदाय लगातार दो दिन से धरने पर बैठा है. तेज़ धूप और गर्मी के बावजूद आदिवासी हिम्मत नहीं हार रहे.
शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे 37 वर्षीय ईटो एक्का की मौत हो गई थी.
प्रदर्शनकारी पिछले 32 घंटे से एक्का के शव के साथ धरनास्थल पर बैठे हैं. शव में सड़न शुरू हो गई है लेकिन लोग हटने को तैयार नहीं हैं.
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि RSP और साउथ ईस्टर्न रेलवे (SER) द्वारा बोंदामुंडा में पहले से अधिग्रहित की गई ज़मीन से जुड़े विस्थापन और पुनर्वास के पुराने मुद्दे सुलझाए जाएं.
झड़प और हिंसा के हालात
यह घटना उस समय की है जब शनिवार को SER की टीम काम शुरू करने पहुंची थी. विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ लोग जेसीबी के सामने कूद गए. इसी दौरान ईटो एक्का की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया.
एक्का की मौत से भीड़ गुस्से से भड़क उठी. प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की और पुलिस के साथ झड़प हुई. इसमें 18 लोग घायल हुए जिनमें 8 पुलिसकर्मी और एक अतिरिक्त तहसीलदार शामिल हैं.
राजनीतिक नेता भी पहुँचे
रविवार को कई नेताओं ने प्रदर्शन स्थल पर पहुँचकर आंदोलनकारियों को समर्थन दिया.
इनमें कांग्रेस के राजगंगपुर विधायक सीएस राजेन एक्का, बीजेडी के बिर्मित्रापुर विधायक रोहित जोसेफ तिर्की, पूर्व विधायक और राउरकेला बीजेडी अध्यक्ष हालु मुंदारी और झामुमो के लेथा तिर्की शामिल थे.
लिखित आश्वासन की मांग
सुंदरगढ़ के प्रभारी कलेक्टर और राउरकेला एडीएम अशुतोष कुलकर्णी, डीआईजी बृजेश कुमार राय और एसपी नितेश वधवानी ने मौके पर जाकर प्रदर्शन खत्म कराने की कोशिश की.
संभागीय आयुक्त सचिन रामचंद्र जाधव ने भी विधायकों से फोन पर बात कर समस्या सुलझाने के लिए समय माँगा.
लेकिन प्रशासन की ओर से कोई लिखित आश्वासन नहीं मिलने के कारण प्रदर्शन जारी है.
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे डेम ओराम ने कहा कि यह आंदोलन केवल नई रेल लाइन परियोजना के विरोध में नहीं है.
यह आंदोलन 1956 में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे से भी जुड़ा है जब आरएसपी और एसईआर ने बंडामुंडा और आसपास के इलाकों में जमीन ली थी.
2006 में एक बड़े रेल-रोको विरोध के बाद प्रशासन ने वादे किए थे कि वह जमीन वापस करेगा, पुनर्वास के मुद्दों को सुलझाएगा और भूमिहीन परिवारों को ज़मीन देगा.
रेलवे बोर्ड ने भी वादा किया था कि समूह डी की नौकरियां विस्थापितों को दी जाएंगी.
ओराम ने कहा कि आंदोलनकारी चाहते हैं कि आरडीसी लिखित में वादे पूरे करने का आश्वासन दे, तभी जमीन पर नया काम शुरू होगा.
उनका कहना है जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा.
आंदोलन जारी है लेकिन किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस बल की आठ इकाइयां तैनाती की गई है.
(Image credit – Indian Express)