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क्या है एक राशन कार्ड की क़ीमत? 10,000 कैलोरी, बच्चों में कुपोषण और परिवार पर कर्ज़ का जाल

2018 में LANSA में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक परिवार को राशन की दुकान से 20 किलो चावल मिलने पर हर महीने उसकी 417 रुपए तक की बचत होती है.

तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले के करसंगल गांव में लगभग 50 नरिकुरवर आदिवासी परिवारों के बच्चे  कुपोषण की चपेट में हैं.

एक तो पहले ही लॉकडाउन की वजह से आंगनवाड़ियां और स्कूल बंद हैं, तो मिड-डे मील उन्हें नहीं मिल रहा. ऊपर से इन परिवारों के पास सब्सिडी का फ़ायदा उठाने या फ़्री राशन पाने के लिए राशन कार्ड नहीं है.

हाल में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले, ज़िला प्रशासन ने इन पारिवारों को आधार कार्ड जारी करने का काम शुरु किया था. लेकिन उस अभियान में सिर्फ़ दस परिवारों को ही आधार कार्ड मिला. बाकि के पास राशन कार्ड भी नहीं है.

अब यह लोग खाने के ज़रूरी सामान के लिए कुछ गैर सरकारी संगठनों पर निर्भर हैं. इनमें से ज़्यादातर परिवार मोतियों से बने आभूषण बेचकर गुज़ारा करते हैं. इससे उनकी रोज़ की आमदनी है महज़ 100 रुपए.

राशन कार्ड न होना मतलब इन लोगों को इलाक़े की दुकानों से ही एमआरपी पर अनाज और किराने का सामान खरीदना पड़ता है. पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे इन आदिवासियों के लिए यह दोहरी मार है.

बस्ती की एक निवासी ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कभी-कभी हम दिन में सिर्फ़ दो बार ही खाते हैं, क्योंकि हमारे पास खाने का सामान नहीं होता. अगर सिर्फ़ पीने का पानी और सूखा राशन भी हमें मिल जाए, तो हमारी बुनियादी जरूरतें पूरी हो जाएंगी.”

एक-एक रुपया है ज़रूरी

2018 में LANSA में प्रकाशित एक रिपोर्ट ‘Public Distribution System in Tamil Nadu: Implications for Household Complications’ में कहा गया है कि एक परिवार को राशन की दुकान से 20 किलो चावल मिलने पर हर महीने उसकी 417 रुपए तक की बचत होती है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस बचत का इस्तेमाल यह परिवार दाल, तेल, सब्जियां और चीनी खरीदने के लिए करते हैं, जो सभी एक स्वस्थ भोजन का हिस्सा हैं.

रिपोर्ट कहती है कि राशन के एक किलो चावल में 3,460 कैलोरी होती हैं, जबकि एक किलो गेहूं में 3,410 कैलोरी और अनाज में 3,435 कैलोरी होती हैं. इसका मतलब है कि बिना राशन कार्ड वाले परिवारों को 10,000 कैलोरी तक का नुकसान हो रहा है.

इसमें भी बच्चों पर इस कैलोरी डेफ़िसिट का असर सबसे बुरा है. राशन कार्ड की कमी बच्चों को कुपोषण की ओर धकेल रही है, और परिवारों को कर्ज़ के जाल में फंसा रही है.

(Photo Credit: Ashwin Prasat)

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