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छत्तीसगढ़: आदिवासियों को बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला करने के लिए उकसाने के आरोप में सूरजु टेकाम ग़िरफ्तार

छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम को पुलिस ने ग़िरफ़्तार कर लिया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर हमला करने के लिए उकसाने वाले भाषण दिए थे.

छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के बस्तर (Bastar) इलाके के एक आदिवासी नेता और सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi samaj) के उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम (surju tekam) को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. उन पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने भाषणों के ज़रिए लोगों को बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर हमला करने के लिए उकसाया था.

यह भी बताया जा रहा है कि सूरजु टेकाम से पुलिस बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में भी पूछताछ कर सकती है.

सूरजु टेकाम बस्तर के माओवादी इलाकों के एक जाने-माने नेता हैं. बस्तर में सिलगेर और अन्य आदिवासी आंदोलन में उनकी अहम भूमिका बताई जाती है.

सूरजु टेकाम को पहले भी पुलिस ने माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में ग़िरफ्तार किया था. लेकिन 4 साल जेल में रहने के बाद उन्हें अदलात से निर्दोष करार दिया गया था.

छत्तीसगढ़ चुनाव और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या

चुनाव के इस माहौल में माओवादी द्वारा पांच बीजेपी नेताओँ की हत्या की खबर भी सामने आई थी. इसलिए ये माना जा रहा है की सूरजु टेकाम से इन हत्याओं के बारे में पूछताछ की जा सकती है.

दरअसल नारायणपुर का अबूझमाड़ इलाका माओवाद प्रभावित है. माओवाद प्रभावित होने के कारण यह क्षेत्र चुनाव के दौरान चुनाव आयोग (election commission) और राजनीतिक दलों (political parties) के लिए बड़ी चुनौती पेश करता है.

ज़िले के बीजेपी समन्वयक रतन दुबे ने कहा, “ मैने पार्टी के वर्कर्स को कहा भी है की अबूझमाड़ में पोलिंग के लिए जाने की कोई जरूरत नहीं है और कांग्रेस के लोगों को भी नहीं जाना चाहिए. क्योंकि ये पूरा ही क्षेत्र माओवादियों से प्रभावित है.

इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा की ना जाने इन इलाकों में रहने वाले कैसे वोट देंगे. क्योंकि अगर नेता ही यहां सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है. वहीं कई लोगों को सरकार की तरफ से सुरक्षा के लिए भी फोन आए है.

छत्तीसगढ़ के अलावा देश के चार अन्य राज्यों में भी विधान सभा चुनाव (assembly election) हो रहा है. ये राज्य मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और मिज़ोरम हैं. इन सभी राज्यों में एक ही चरण में मतदान होगा.

लेकिन माओवाद प्रभावित ज़िलों की वजह से छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर और 17 नवंबर को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे.

पुलिस पर फ़र्ज़ी एनकाउंटर का आरोप

पुलिस ने 21 अक्टूबर को मुठभेड़ में दो नक्सलवादियों का एंनकाउटर करने का दावा किया था. वहीं सर्व आदिवासी समाज सहित मारे गए लोगों के परिजनों ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है.

इसलिए 24 अक्टूबर मंगलवार को बेचाघाट में सर्व आदिवासी समाज ने मुठभेड़ को फर्जी बता कर धरना प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने प्रशासन से ये मांगे की है –

  • आदिवासियों का नरसंहार बंद किया जाए
  • दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले
  • इस पूरे मामले में मजिस्ट्रेट की जांच हो
  • पीड़िताओं के परिवार को 50 50 लाख और एक को सरकारी नौकरी दी जाए

सर्व आदिवासी समाज और बेचाघाट संघर्ष समिति के सदस्य अजित नरेटी, मैनी कचलाम ने कहा की ये दोनों आदिवासी काकनार के निवासी थे. इनमें से एक का नाम काना बेड़दा और दूसरे का मोडा राम पद्दा बताया गया है.

क्या है पूरा मामला

सर्व आदिवासी समाज और परिवार वालों के मुताबिक 21 अक्टूबर को दो आदिवासी सहित 5 महिलाएं कोयलीबेड़ा बाज़ार से वापस लौट रहे थें. ये बाज़ार गाँव से 40 से 50 किमी की दूरी पर है. इसलिए बाज़ार जाने के लिए सभी आदिवासी जंगल के रास्ते पैदल आना जाना करते हैं.

ये सभी राशन और अन्य साम्रागी लेने बाज़ार गए थे. बाज़ार में खरीदारी के बाद जब ये सभी जंगल के रास्ते घर लौट रहे थे. तभी उन लोगों को कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा रोका गया. जिसके बाद ये पुलिस अधिकारी दो आदिवासी युवकों को अपने साथ जंगल ले गए.

महिलाओं को वापस गोमे में जाने के लिए कहा और डरी सहमी महिलाएं 21 अक्टूबर की रात को गोमें में ही रूक गई.

उसी दौरान सुरक्षाबलों ने दोनों पुरूषों पर गोली चलाकर उनकी हत्या कर दी. जब 22 अक्टूबर की सुबह ये खबर महिलाओं को पहुंची तो वे सभी परियजनों के साथ मिलकर कोयलीबेड़ा थाना जाकर शिकायत दर्ज करवाई.

जिसके बाद वे सभी समाज के सदस्यों के साथ कांकेर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे. जहां इन सभी लोगों ने मुठभेड़ को फर्जी बताकर इसमें जांच की मांग की थी.

समाज के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक ये दोनों आदिवासी खेती करते थे. इनका माओवादियों से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं और ना ही इनके बारे में पुलिस में कभी कोई शिकायत दर्ज की गई है.

नक्सालियों द्वारा भी इस वारदात के बारे में एक बयान जारी किया गया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि यह घटना फर्जी है.

पुलिस द्वारा जिसे नक्सलवादी समझ कर मारा गया है उसका संगठन से कोई संबंध नहीं है  

प्रदर्शन के दौरान सर्व आदिवासी समाज द्वारा ये भी कहा की अगर प्रशासन द्वारा उनकी ये मांगे पूरी नहीं की गई तो अबूझमाड़ के सभी निवासी आगमी विधानसभा चुनाव का बाहिष्कार कर देंगे.

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