झारखंड दौरे पर आयी राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की टीम ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक की.
इस मौके पर आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्या (Antar Singh Arya) समेत आयोग की सदस्य डॉ. आशा लाकड़ा, निरुपम चकमा और जाटोतु हुसैन ने राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा की.
इस दौरान अंतर सिंह आर्या ने झारखंड के सरकारी अधिकारियों से आदिवासी भूमि के अवैध हस्तांतरण से संबंधित मामलों में अनुसूचित जनजाति अत्याचार के प्रावधानों को लागू करने और राज्य में PESA – पंचायत अधिनियम (अनुसूचित क्षेत्र तक विस्तार) के प्रावधानों को लागू करने को कहा है.
दरअसल, एनसीएसटी टीम ने राज्य सचिवालय में राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत जनजातीय आबादी के कवरेज की समीक्षा की.
इससे पहले टीम ने इस संबंध में 14 जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक भी की.
राज्य स्तरीय बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आर्या ने आरोप लगाया कि राज्य में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को अवैध रूप से हस्तांतरित करने के सैकड़ों मामले हैं.
उन्होंने कहा कि कई गांवों में आदिवासियों की जगह बाहरी लोगों ने ले ली है.
इसके अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने झारखंड में पेसा कानून बनाने पर जोर दिया.
आर्या ने कहा कि झारखंड को छोड़कर 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड ने पेसा नियम नहीं बनाए हैं. हमने राज्य के अधिकारियों से इस कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने को कहा है.
वहीं एनसीएसटी सदस्य आशा लाकड़ा ने कहा कि आदिवासियों की जमीन दान पत्र के जरिए गैर आदिवासियों को हस्तांतरित की जा रही है.
लाकड़ा ने कहा, “लोगों को कर्ज देकर आदिवासियों की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “आदिवासियों के साथ-साथ मूल निवासी और उनकी रोटी, बेटी और माटी ख़तरे में हैं. बाहरी लोग आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं, उनकी आय पर जी रहे हैं और उनके नाम पर जमीन खरीद रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि साहिबगंज, पाकुड़, रांची, पश्चिमी सिंहभूम, लोहरदगा और गुमला जिलों में बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन की अवैध खरीद हुई है.
लाकड़ा ने यह भी कहा कि आयोग ने हाल के दिनों में पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर, सरायकेला खरसावां और खूंटी जिलों का दौरा कर सरकारी योजनाओं के तहत आदिवासी आबादी के कवरेज की समीक्षा की.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों में आदिवासी छात्रों की संख्या का रिकॉर्ड नहीं है.
वहीं निरुपम चकमा ने कहा कि झारखंड में पांचवीं अनुसूची लागू है, जबकि नार्थ-ईस्ट में छठी अनूसूची लागू है. झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी भी नहीं है. आदिवासी जमीन से संबंधित समस्या के समाधान के लिए ट्रांसफर ऑफ लैंड कानून बनाया जा सकता है.संविधान में आदिवासियों के संरक्षण के लिए पांचवीं व छठी अनुसूची है.
आयोग की ओर से अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि आदिवासियों की जमीन को बचाइए. आदिवासियों का संरक्षण कीजिए.