झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को रांची में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए.
रांची में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में चंपई अपने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए.
इस बीच घाटशिला से जेएमएम विधायक और कोल्हान के प्रमुख आदिवासी नेता रामदास सोरेन (Ramdas Soren) ने शुक्रवार सुबह हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली कैबिनेट में चंपई सोरेन की जगह ली. इससे कुछ घंटे पहले ही चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हो गए थे.
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार द्वारा शपथ दिलाने से पहले जेएमएम के संरक्षक शिबू सोरेन का आशीर्वाद लेने वाले रामदास सोरेन को चंपई की जगह विभाग (जल संसाधन विभाग और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग) दिया गया.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक करीबी सहयोगी ने कहा, “रामदास ने अपना राजनीतिक जीवन जमशेदपुर के घोराबांधा के ग्राम प्रधान के रूप में शुरू किया था और वे करीब तीन दशकों से पूर्वी सिंहभूम जिले और पड़ोसी जिले पश्चिमी सिंहभूम में आदिवासी शोषण के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं और चंपई के साथ आदिवासी चेहरों में से एक थे. चंपई दा की जगह लेने के लिए वे झामुमो के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार थे.”
झामुमो के सूत्रों ने कहा कि हेमंत कोल्हान बेल्ट में 2019 के विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन को दोहराने के इच्छुक हैं. जिसमें सरायकेला, चंपई का निर्वाचन क्षेत्र और घाटशिला, रामदास की सीट सहित 14 विधानसभा सीटें शामिल हैं.
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा कोल्हान बेल्ट में कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी. वहीं 11 सीटें झामुमो ने जीती थीं, दो कांग्रेस ने और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार सरयू रॉय (जमशेदपुर पूर्व) ने जीती थी.
झामुमो के एक सूत्र ने बताया, “हेमंत 2019 का प्रदर्शन दोहराना चाहते हैं और लंबे समय से कोल्हान क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. पिछले मंत्रियों में दीपक बिरुआ, जोबा मांझी (अब सांसद) और रामदास सोरेन शामिल हैं. इस विचार का उद्देश्य चंपई द्वारा बीजेपी में शामिल होने के बाद इस क्षेत्र में जो सेंध लगाने की सोच रहे हैं, उसे खत्म करना है.”
झारखंड विधानसभा चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और सरमा (भाजपा के झारखंड विधानसभा चुनाव सह-प्रभारी) की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए चंपई शुक्रवार को रांची में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान संथाली में भाषण देते समय भावुक हो गए.
चंपई ने कहा, “जिस संगठन को मैंने अपने खून-पसीने से सींचा, उसमें मेरा अपमान हुआ. मैंने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया था. लेकिन लोगों की पीड़ा और मुझ पर उनके विश्वास को देखते हुए मैंने अलग पार्टी बनाने का विचार किया. काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राजनीति में बने रहने का फैसला किया.”
झामुमो और हेमंत पर निशाना साधते हुए चंपई ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे अपने लोग मेरी जासूसी करेंगे. अगर संथाल परगना को बचाना है, आदिवासियों को बचाना है तो यह काम सिर्फ एक ही पार्टी कर सकती है और वह है भाजपा. हम किसी भी कीमत पर झारखंड में आदिवासियों पर अत्याचार नहीं होने देंगे. हम अपने पूर्वजों की तरह घुसपैठियों को निकालने, आदिवासियों और उनकी जमीन को बचाने के लिए लड़ेंगे.”
जनवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हेमंत को गिरफ्तार किए जाने के बाद चंपई ने मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था और जून में हेमंत के जमानत पर रिहा होने के बाद, चंपई ने 3 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हेमंत के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का मार्ग प्रशस्त हुआ.
हेमंत के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि हेमंत वरिष्ठ नेता चंपई के भाजपा में शामिल होने का मुकाबला कई तरह के उपायों से कर रहे हैं. जैसे कि गुरुवार को कैबिनेट द्वारा 200 यूनिट बिजली का उपयोग करने वाले करीब 39.44 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 3,584 करोड़ रुपये का बिजली बकाया माफ करने का निर्णय.
साथ ही इस कदम का उद्देश्य मुख्यमंत्री ऊर्जा खुशहाली योजना के तहत नामांकित घरेलू उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ को कम करना था, एक ऐसी योजना जिसके तहत उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है. अब उन्हें बकाया बिलों का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी.
कैबिनेट ने आंगनवाड़ी पोषण सखियों (महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य से पोषण आधारित पहल) और रसोइयों के पारिश्रमिक अवधि को 10 महीने से बढ़ाकर 12 महीने करने को भी मंजूरी दी और इस उद्देश्य के लिए 31.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.
कैबिनेट ने 10 हज़ार 388 पोषण सखियों की फिर से नियुक्ति को भी मंजूरी दी, जिनका ग्रामीणों, खासकर महिलाओं के साथ अच्छा संबंध है.
सरकार ने स्थानीय लोगों की शिकायतों के समाधान के लिए 30 अगस्त से 15 सितंबर के बीच सरकार आपके द्वार योजना (पंचायतों में शिविर आयोजित करना) को फिर से शुरू करने की भी घोषणा की ताकि कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ मिल सके.
रामदास का चुनावी सफर
रामदास सोरेन संथाल आदिवासी समुदाय से आते हैं. वह पूर्वी सिंहभूम जिले के जिला अध्यक्ष भी हैं. रामदास सोरेन भी कई बार आंदोलन के दौरान जेल में जा चुके हैं और उन्होंने अपनी राजनीति निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर शुरू की थी.
साल 2005 में रामदास सोरेन ने पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गए थे. इसके बाद 2009 में वह जेएमएम के टिकट पर घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2014 के चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा प्रत्याशी ने हरा दिया.
वहीं 2020 में हेमंत सोरेन ने रामदास पर एक पर फिर से भरोसा जताया और वह चुनाव जीत गए. जेएमएम की सरकार बनी लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया.
अब रामदास सोरेन की जिम्मेदारी को कोल्हान मंडल में जेएमएम को बढ़त दिलवाने की होगी क्योंकि चंपई के बीजेपी में आने से जेएमएम को झटका जरूर लगा है.