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एक शिक्षक की मदद से भर रहे हैं आदिवासी बच्चे अपने सपनों की उड़ान

भाभोर ने कहा कि जेएनवी और ईएमआरएस स्कूलों के लिए छात्रों को तैयार करने के अलावा, सरकार द्वारा आयोजित अलग-अलग स्कॉलरशिप परिक्षाओं के लिए भी वो उनकी तैयारी करवाते हैं.

लगभग एक दशक पहले तक गुजरात के आदिवासी-बहुल दाहोद के अधिकांश छात्र आठवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ देते थे. यह इसलिए नहीं था कि उन्हें पढ़ाई पसंद नहीं थी, बल्कि सुविधाओं की कमी उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करती थीं. यहां का सरकारी प्राथमिक विद्यालय – एक दशक पहले और अब भी – सिर्फ़ कक्षा 8 तक ही है.

लेकिन आज इस आदिवासी गढ़ के कई युवाओं ने वायु सेना और पुलिस विभाग में नौकरी हासिल की है. आज यहां की एक आदिवासी लड़की जज बनने का सपना देख रही है. इसके जैसे अनेक जीवनों को आकार देने वाले, और उनके सपनों को जन्म देने का श्रेय सिर्फ़ एक आदमी को जाता है – शिक्षक चंदू भाभोर.

भाभोर ने पिछले डेढ़ दशक में यह सुनिश्चित किया है कि इस आदिवासी इलाक़े के उज्ज्वल छात्रों को आठवीं कक्षा से आगे पढ़ने का मौका मिले. इस पिछड़े इलाक़े में अपने दम पर एक नया स्कूल खड़ा करना तो उनकी पहुंच से बाहर था, लेकिन उन्होंने बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) और एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) की प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) के लिए छात्रों को तैयार करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया. यह दोनों ही संस्थान हॉस्टल सुविधाओं के साथ बारहवीं कक्षा तक शिक्षा प्रदान करते हैं.

दाहोद तालुक के आगरवाड़ा प्राइमरी स्कूल के शिक्षक भाभोर ने 2007 में यह कक्षाएं संचालित करनी शुरू की थीं, लेकिन उन्हें सफलता अभी हाल ही में मिली.

भाभोर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “इतने सालों में कई छात्र अलग-अलग परीक्षाओं में सफल रहे, लेकिन जेएनवी में दाखिला सुनिश्चित करने में पहली सफलता मुझे 2014 में ही मिली.”

भाभोर ने कहा कि जेएनवी और ईएमआरएस स्कूलों के लिए छात्रों को तैयार करने के अलावा, सरकार द्वारा आयोजित अलग-अलग स्कॉलरशिप परिक्षाओं के लिए भी वो उनकी तैयारी करवाते हैं.

आज उनकी सफलता एक मिसाल है, और छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

जब आगरवाड़ा के आसपास के गांवों के लोगों को भाभोर की क्लासेस के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने बच्चों को प्वरेश परीक्षाओं की कोचिंग के लिए उनके पास भेजना शुरू कर दिया. जहां उनका ध्यान खासतौर पर कक्षा आठ के छात्रों पर है, लेकिन उन्होंने कक्षा छह के छात्रों की प्राइमरी स्कूल स्कॉलरशिप के लिए कक्षाएं भी संचालित की हैं.

भाभोर ने कहा कि अब तक उन्होंने सुनिश्चित किया है कि 248 छात्रों का ईएमआरएस की मेरिट सूची में नाम आया, जबकि 21 का नाम जेएनवी की मेरिट सूची में आया है.

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