मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में मंगलवार को हुई हिंसा के बाद बुधवार को ज़िले के छह विधायकों और 12 आदिवासी संगठनों ने शांति बनाए रखने की अपील की.
ज़िले में पहले से ही कर्फ्यू लगा हुआ था और ताजा हिंसा के कारण बाज़ार और दुकानों समेत सरकारी और निजी कार्यालय पूरी तरह बंद रहे.
मंगलवार रात को ज़ोमी और ह्मार नामक दो जनजातीय समूहों के बीच झड़प हो गई थी. इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ लोग घायल हो गए.
कैसे शुरू हुई हिंसा?
मंगलवार रात चुराचांदपुर के आदिवासी बहुल इलाके में तब तनाव बढ़ गया जब कुछ लोगों ने ज़ोमी सशस्त्र समूह के झंडे को हटाने की कोशिश की.
इससे दोनों पक्षों में झड़प हो गई. झड़प में भीड़ और हथियारबंद लोग आमने-सामने आ गए. पथराव हुआ और स्थिति बिगड़ने लगी.
सुरक्षाबलों ने हालात संभालने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग भी की.
इस हिंसा में 53 वर्षीय लालरोपूई पखुमते की मौत हो गई.
हालांकि यह साफ नहीं है कि उनकी मौत कैसे हुई. हिंसा के दौरान भीड़ में घुसे कुछ हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी भी की. इस हिंसक झड़प में संपत्ति को भी काफ़ी नुकसान पहुंचा.
शांति की अपील और प्रशासन की कार्रवाई
जिले में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. ज़िला मजिस्ट्रेट धरुन कुमार एस. ने भी लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहें और कानून को अपने हाथ में न लें.
छह विधायकों ने भी एक बयान जारी कर कहा, “हम अपने समुदायों के नेताओं और सामाजिक संगठनों से अपील करते हैं कि वे शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए काम करें. ज़िला प्रशासन को चाहिए कि वह कानून-व्यवस्था को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द शांति बहाल करे.”
12 आदिवासी संगठनों ने भी शांति का संदेश देते हुए कहा कि वे मिलकर शांति बहाल करने और सभी समुदायों के बीच आपसी सम्मान और सद्भावना बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
जो भविष्य में किसी भी तरह के तनाव या गलतफहमी को सुलझाने के लिए एक संयुक्त शांति समिति बनाने की बात भी कही गई है.
इससे पहले 16 मार्च को एक वरिष्ठ ह्मार आदिवासी नेता रिचर्ड लालतनपुइया ह्मार के साथ मारपीट की घटना हुई थी. मारपीट की घटना के बाद ज़िले में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया गया था.
आरोप था कि कुछ लोगों ने उन्हें रोककर आंखों पर पट्टी बांधी और वी.के. मोंटेसरी स्कूल के परिसर में ले जाकर बुरी तरह पीटा.
मंगलवार को हमार इनपुई और ज़ोमी काउंसिल के नेताओं के बीच बैठक हुई जिसमें इस विवाद को सुलझा लिया गया.
पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार, आरोपी परिवार को पीड़ित परिवार को 50,000 रुपये देने और शांति भोज आयोजित करने पर सहमति बनी थी. इसके बाद ज़िले में जारी बंद को खत्म करने का फैसला ले लिया गया.
अस्पताल में भी बढ़ा तनाव
मंगलवार रात हिंसा के दौरान चुराचांदपुर ज़िला अस्पताल में भीड़ घुस गई और वहां मौजूद स्टाफ और मरीजों को डराने की कोशिश की. हालांकि सुरक्षाबलों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित कर लिया था.
फिलहाल प्रशासन और सामाजिक संगठन हालात पर नजर बनाए हुए हैं और शांति बनाए रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.