जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने शुक्रवार को कहा कि उनका मंत्रालय 2022-23 के लिए अपने बजटीय आवंटन में आदिवासी कल्याण के लिए “result-oriented” कार्य योजना के साथ तैयार है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और राज्यों के साथ समन्वय में एक कार्यक्रम शुरू करेगा. इसके तहत इस साल 7,500 गांवों से शुरू होकर पांच साल में 36,428 आदिवासी-आबादी वाले गांवों को मॉडल गांवों में बदला जाएगा.
प्रधान मंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना गांवों का व्यापक विकास सुनिश्चित करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत कम से कम 50 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले गांवों का चयन किया गया है.
मुंडा ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आने वाले दिनों में अनुसूचित जनजातियों और उनके वर्चस्व वाले क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.”
मंत्रालय ने 2022-23 के केंद्रीय बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए 8,451.92 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 12.32 प्रतिशत ज्यादा है. वित्त मंत्रालय ने 2021-22 के लिए 7,524.87 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे.
इसके अलावा, 2022-23 के लिए Scheduled Tribe Component के तहत 87,000 करोड़ रुपये से ज्यादा आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 78,256 करोड़ रुपये था.
अगले पांच सालों में, 50 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी आबादी वाले 38,428 गांवों को आदर्श (मॉडल) गांवों में बदलने की एक नई योजना को लागू करने का लक्ष्य है. इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए 41 मंत्रालय साथ काम करेंगे. इस साल के लिए कुल 7,500 गांवों का चयन किया गया है.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने 31 मार्च, 2026 तक कुल 14 केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी थी, जिसमें राष्ट्रीय आदिवासी कल्याण कार्यक्रम के लिए कुल 3,344 करोड़ रुपये, एकलव्य मॉडल स्कूलों के लिए 28,920 करोड़ रुपये, और प्रधानमंत्री वन बंधु कल्याण योजना के लिए 26,135 करोड़ रुपये हैं.
मुंडा ने कहा, “गांवों के विकास के लिए दूसरे मंत्रालयों के साथ समन्वय में काम करते हुए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अनुसूचित जनजाति के सदस्य, जिनमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं, आदिवासी मामलों के मंत्रालय समेत सभी योजनाओं का लाभ उठाएं,” मुंडा ने कहा.
उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय प्रधान मंत्री जन जाति विकास मिशन के कार्यान्वयन पर भी अपना ध्यान केंद्रित रखेगा, जो अगले पांच सालों में आजीविका संचालित आदिवासी विकास हासिल करना चाहता है.
इसके अलावा, मुंडा ने कहा कि उनका मंत्रालय आदिवासी आबादी में प्रचलित सिकल सेल एनीमिया को दूर करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के समन्वय से एक कार्यक्रम भी लागू करेगा.