HomeAdivasi Dailyकेरल: आदिवासी वयस्कों के लिए नवंबर में शुरू होंगी साक्षरता कक्षाएं

केरल: आदिवासी वयस्कों के लिए नवंबर में शुरू होंगी साक्षरता कक्षाएं

आदिवासी कॉलोनियों में साक्षरता कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए एक विशेष एसओपी तैयार की गई है, जिसमें हर क्लास में 10 छात्रों तक की उपस्थिति सीमित है. इसके अलावा क्लास को शिफ़्टों में चलाया जाएगा.

केरल में एक नवंबर को सिर्फ़ बच्चे ही स्कूल नहीं जाना शुरु करेंगे. बच्चों के अलावा 18,800 से ज़्यादा वयस्क आदिवासी छात्र भी ऑफ़लाइन क्लास में पहुंचने के लिए उतावले हैं. इन वयस्कों की साक्षरता कक्षाएं (literacy classes) कोविड-19 के शुरू होने के बाद से बंद पड़ी हैं. इसलिए एक नवंबर को टोटल आदिवासी साक्षरता कार्यक्रम के तहत यह आदिवासी भी अपनी क्लास फिर से शुरू करेंगे.

मई 2021 में कोविड की दूसरी वेव के चलते हुए लॉकडाउन के बाद वायनाड ज़िले के 2,000 से ज़्यादा आदिवासी बस्तियों में साक्षरता कक्षाएं निलंबित कर दी गईं.

आदिवासी कॉलोनियों में साक्षरता कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए एक विशेष एसओपी तैयार की गई है, जिसमें हर क्लास में 10 छात्रों तक की उपस्थिति सीमित है. इसके अलावा क्लास को शिफ़्टों में चलाया जाएगा.

ज़िले में जनजातीय साक्षरता कार्यक्रम के तीसरे चरण के लिए 24,472 अनपढ़ आदिवासियों की पहचान की गई थी, जब महामारी ने सब कुछ बंद करा दिया. हालांकि कक्षाएं फरवरी 2021 में फिर से शुरू हुईं, लेकिन 6 मई को इन्हें फिर से बंद करना पड़ा.

जिला साक्षरता मिशन की समन्वयक स्वया नासर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा, “साक्षरता मिशन को अब ज़िला प्रशासन से कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए मंज़ूरी मिल गई है. यह 1 नवंबर को शुरू होंगी, और इनमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. हम 15 दिसंबर तक तीसरे चरण के लिए साक्षरता परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.”

ज़िले में लगभग सभी आदिवासियों को वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी है, इसलिए प्रशासन कक्षाएं शुरू करने को लेकर आश्वस्त है. प्लान के तहत जो आदिवासी शिक्षक क्लास लेंगे, वे उसी कॉलोनी से होंगे और छात्रों के लिए फेस मास्क अनिवार्य होगा, और यह उन्हें दिया जाएगा.

ज़िले के आदिवासी गांवों में 997 आदिवासी शिक्षक साक्षरता कक्षाएं चला रहे हैं. पिछले दो सालों में लागू किए गए कार्यक्रम के पहले दो चरणों में ज़िले के आदिवासी समुदायों के 7,000 से ज़्यादा लोगों को फ़ायदा हुआ था.

वायनाड के अलावा, इसी तरह की एक परियोजना पालक्काड ज़िले के अट्टपाड़ी में भी चल रही थी. साक्षरता मिशन के अधिकारियों ने कहा कि टोटल आदिवासी साक्षरता कार्यक्रम की सफलता सीधे सामाजिक लाभ से जुड़ी है.

उम्मीद है कि इससे आदिवासी छात्रों के पढ़ाई छोड़ने की दर को कम किया जा सकेगा, और उनके जीवने में सकारात्मक बदलाव आ सकेगा.

केरल भले ही 96.2% की साक्षरता दर के साथ देश में इस मामले में सबसे आगे है, लेकिन वायनाड समेत राज्य के दूसरे आदिवासी इलाक़ों में यह दर बेहद कम है.

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