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मेघालय के NEHU कुलपति को हटाने की मांग

हाइनीवट्रेप इंटीग्रेटेड टेरिटोरियल ऑर्गेनाइजेशन (HITO) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की कि कुलपति को केंद्रीय सुरक्षा बल न दिया जाए. HITO का कहना है कि कुलपति इस सुरक्षा का दुरुपयोग कर छात्रों और शिक्षकों पर दबाव बना सकते हैं.

मेघालय के नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (NEHU) में इन दिनों बड़े पैमाने पर विवाद चल रहा है. इस विवाद का केंद्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रभा शंकर शुक्ला हैं.

आदिवासी संगठनों, छात्र संघों और महिला समूहों जैसे KWADA, NESO, KSU ने उनकी प्रशासनिक विफलताओं और छात्रों के प्रति उनके असंवेदनशील रवैये को लेकर उन्हें उनके पद से हटाने की मांग की है.

छात्रों का विरोध प्रदर्शन

यह विवाद तब शुरू हुआ जब छात्रों ने नवंबर में कुलपति के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की.

छात्रों ने कुलपति पर आरोप लगाया कि वह मेघालय और पूर्वोत्तर के आदिवासी रीति-रिवाजों, परंपराओं और संस्कृति को समझने या सम्मान देने में असफल रहे हैं.

MITCRM का हस्तक्षेप

खासी, जैंतिया और गारो हिल्स के पारंपरिक प्रमुखों के समूह मेघालय इंडिजिनस ट्राइब्स कॉन्स्टिट्यूशनल राइट्स मूवमेंट (MITCRM) ने 14 नवंबर को एक बैठक में कुलपति को अवांछित व्यक्ति (Persona Non Grata) घोषित कर दिया.

MITCRM के महासचिव आरएल ब्लाह ने कहा कि संगठन मेघालय में कुलपति के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान करता है.

MITCRM ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रो. शुक्ला का रवैया आदिवासी समाज और विश्वविद्यालय दोनों के हितों के खिलाफ है.

संगठन ने यह भी कहा कि कुलपति छात्रों की मांगों को गंभीरता से लेने के बजाय, उन्हें दबाने की कोशिश कर रहे हैं और आदिवासी समुदाय को नीचा दिखाना चाहते हैं.

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में ब्लाह ने कहा, “वे (प्रो. शुक्ला) न तो मेघालय और पूर्वोत्तर के आदिवासी आचार-विचार, जीवन-शैली, रीति-रिवाजों और संस्कृतियों को समझते हैं और न ही समझने का प्रयास करते हैं. इसके विपरीत उन्होंने उन सभी को दबाने और कमतर आंकने की कोशिश की. इसलिए उनमें वह नैतिकता नहीं है जो एक शिक्षाविद में होनी चाहिए.”

ब्लाह ने आगे कहा कि कुलपति का व्यवहार अक्सर स्थानीय जनजातियों के हितों के खिलाफ जाता है और उनके दिमाग में छिपे अप्रिय एजेंडे को दर्शाता है. अगर इसे अभी नहीं रोका गया तो यह आगे चलकर संस्थान और समाज के लिए हानिकारक साबित होगा.

इसलिए MITCRM ने कुलपति के व्यवहार के सभी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद उन्हें तत्काल हटाने की मांग की है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि कुलपति के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद उन्हें हटाया जाएगा.
प्रस्ताव को प्रस्तुत करने में देरी के लिए उन्होंने माफ़ी मांगी और इसका कारण भी बताया. उन्होंने कहा, “हमारे पास पूरे राज्य के चारों कोनों से संगठनों का एक बड़ा समूह है. इसलिए उनके हस्ताक्षर और राय प्राप्त करने में समय लगता है.”

आंदोलन और जांच

छात्रों के दबाव के बीच, शिक्षा मंत्रालय ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की.

कुलपति ने इस दौरान छुट्टी पर जाने का फैसला किया और कार्यवाहक कुलपति (acting VC) की नियुक्ति हुई.

हालांकि छात्रों ने केवल जांच के दौरान अस्थायी रूप से अपनी भूख हड़ताल को निलंबित किया और कुलपति को हटाने की मांग की.

हाइनीवट्रेप इंटीग्रेटेड टेरिटोरियल ऑर्गेनाइजेशन (HITO) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की कि कुलपति को केंद्रीय सुरक्षा बल न दिया जाए. HITO का कहना है कि कुलपति इस सुरक्षा का दुरुपयोग कर छात्रों और शिक्षकों पर दबाव बना सकते हैं. संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि कुलपति ने स्थानीय जनजातियों की परंपराओं और रीति-रिवाजों का अनादर किया है.

संगठनों की मांग

MITCRM और अन्य संगठनों ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें और कुलपति को बर्खास्त करें. उनका कहना है कि यदि यह कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और गंभीर हो सकती है.

NEHU में चल रहे इस विवाद ने छात्रों, शिक्षकों और स्थानीय संगठनों को एकजुट कर दिया है. सभी का कहना है कि विश्वविद्यालय के भविष्य और स्थानीय परंपराओं की रक्षा के लिए यह कदम जरूरी है.

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