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मध्यप्रदेश: तीन घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करते-करते आदिवासी महिला की मौत हुई

मृतक का शुगर लेवल 400 से अधिक पहुंच गया था. मृतक बेहोशी की हालत में तीन घंटे तक एंबुलेंस का इंतज़ार करती रही. लेकिन एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची. जिसके बाद आदिवासी महिला को निजी वाहन के द्वारा अस्पताल ले जाया गया.

मध्यप्रदेश (Tribes of Madhya Pradesh) के गुना ज़िले (Guna District) के बमोरी क्षेत्र में एंबुलेंस में देरी की वज़ह से एक आदिवासी महिला (Tribal women dead) की मृत्यु हो गई.

महिला के परिवार वाले जब तक निजी साधन प्रबंध कर उसे गुना में स्थित अस्पताल लाए, तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक मृतक का नाम अनीता है. वह सहरिया समुदाय (Sahariya Tribe) से है. सहरिया समुदाय मध्य प्रदेश में विशेष रुप से पिछड़ी जनजाति (PVTG) माना गया है.

परिवार ने बताया है कि मृतक को मधुमेह की बीमारी थी. सोमवार के दिन सेहत में खराबी के कारण अनीता को स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था.

लेकिन वहां कोई डाक्टर मौजूद नहीं था. अनीता का शुगर लेवल की जांच करने पर पता चला की शुगर लेवल 400 से अधिक पहुंच गया है.

जिसके बाद बैठे-बैठे ही अनीता बेहोश हो गई. अनीता की हालत देखने के बाद अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 नंबर पर एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन किया गया, लेकिन तीन घंटे बीतने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची.

गाँव के सरपंच सुनील राठोर और गाँव के एक अन्य व्यक्ति अपने निजी वाहन में अनीता को अस्पताल तक ले गए. लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही अनीता की मौत हो चुकी थी.

वहीं गाँव के सरपंच ने आरोप लगाया है कि आठ दिन पहले भी एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची थी. जिसकी वज़ह से गाँव में एक गर्भवती महिला की तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गई.

स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की गैर मौजदूगी और एंबुलेंस का समय पर ना पहुंचना साफ तौर पर गाँव की स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाता है.

इसके अलावा अधिकारियों ने समय से एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर कोई जवाब नहीं दिया है. यह पता चला है की क्षेत्र में एक ही एंबुलेंस है.

जिस समय महिला बेहोश थी, उस समय एंबुलेंस किसी ओर मारीज को अस्पताल लेकर जा रहे थे. जब तक एंबुलेंस अनीता के पास पहुंचे, उसे निजी वाहन द्वारा अस्पताल ले जाया जा चुका था.

आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य और एंबुलेंस सेवाओं की कमी के अलावा ख़राब रास्ते भी जानलेवा साबित होते हैं. लेकिन अफ़सोस की लगातार इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्टिंग के बावजूद प्रशासन कोई कदम नहीं उठाता है.

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