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मध्य प्रदेश में अब आदिवासी की पुलिस हिरासत में मौत, कब थमेगा अत्याचार का सिलसिला

मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले में 35 साल के एक आदिवासी आदमी की पुलिश थाने में मौत के बाद तनाव की स्थित है. चोरी के आरोप में गिरफ़्तार किए गए 35 साल के बिशन की मौत की ख़बर से इलाक़े के आदिवासियों का गुस्सा उमड़ पड़ा और उन्होंने थाने में तोड़फोड़ की.

बिस्टान थाना क्षेत्र के झगड़ी घाट में हुई लूट के आरोप में पुलिस ने कछ दिन पहले खैरकुंडी गांव के 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद आठ को जेल भेज दिया गया, जबकि बिशन समेत चार लोगों को चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया.

पुलिस का कहना है कि शाम को बिशन बीमार पड़ गया और उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां मंगलवार तड़के इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया जाएगा. मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

बिशन की मौत की ख़बर फैलते ही आदिवासी थाने पर जमा हुए और जमकर प्रदर्शन किया.

भीड़ ने वाहनों की तोड़फोड़ की, पथराव किया और कुर्सियां उठाकर फेंकी. विरोध कर रहे ग्रामीणों में महिलाएं भी थीं. फिलहाल अभी यह साफ़ नहीं है कि बिशन की मौत कैसे हुई. लेकिन आदिवासियों का आरोप है कि पुलिस ने बिशन को इल्ज़ाम स्वीकर करने के लिए टॉर्चर किया.

आदिवासियों के प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. मौके पर एसडीओपी, एसडीएम, तहसीलदार के अलावा कई आला अधिकारी पहुंचे. घटना के बाद पूरा बाज़ार बंद हो गया.

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ ने ट्वीट पर इस मामले की जांच की मांग की है.

हाल ही में मध्यप्रदेश के नीमच में एक आदिवासी आदमी की ट्रक से घसीटकर हुई हत्या के बाद से ही राज्य के आदिवासियों में काफ़ी आक्रोश है. बिशन की मौत के बाद का यह हंगामा उसी का नताजी है.

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