मंगलवार को पेश किए गए 2022-23 के केंद्रीय बजट में आदिवासी उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और आदिवासी उत्पादों के मूल्यवर्धन और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कई कदम आउटलाइन किए गए हैं.
अगले 18 महीनों में आदिवासी बहुल अनुसूची V और VI क्षेत्र के राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले यह प्रस्ताव आए हैं.
आदिवासी मामलों के मंत्रालय का आवंटन पिछले वित्त वर्ष के बजट से 12.3% बढ़कर 8,451.92 करोड़ हो गया है. पिछले बजट में अनुमान 7,524.85 करोड़ रुपये का था, जिसे संशोधित कर 6,181.3 करोड़ रुपये किया गया. संशोधित अनुमान की तुलना में इस बार का उछाल 36.7% है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक नई योजना की घोषणा की – अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए उद्यम पूंजी कोष. इसके तहत आदिवासियों के बीच ऐसी उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाएगा जो इनोवेशन और विकास को बढ़ावा देते हैं.
इस योजना का उद्देश्य एसटी उद्यमियों द्वारा नए स्टार्टअप को समर्थन देना है. यह योजना अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को रियायती फंड देगी, जो समाज के लिए धन और मूल्य पैदा करेगी. इससे प्रॉफिटेबल व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा.
अभी तक यह योजना अनुसूचित जाति के उद्यमियों तक ही सीमित थी.