चेन्नई की भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (Geographical Indicator Registry) ने हाल ही में असम की बोडो जनजाति के 8 पारंपरिक उत्पादों को GI टैग दिया है. इन 8 उत्पादों में चावल से बनी 3 तरह की बीयर और खाद्य पदार्थों के साथ अपने विशिष्ट डिज़ाइन के लिए जाना जाने वाला बुनकर तैयार किया जाने वाला अरोनई भी शामिल है.
ये टैग असम और विशेष रूप से बोडो जनजाति की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हैं.
तीन प्रकार की बीयर को मिला टैग
बोडो पारंपरिक ब्रुअर्स एसोसिएशन को चावल से बनी बीयर की तीन अनूठी किस्मों के लिए जीआई टैग मिला है.
इनमें सबसे पहली किस्म ‘बोडो जौ ग्वारन’ है. बोडो समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली इस बीयर में लगभग 16.11 प्रतिशत अल्कोहल होता है, जो बाकी बीयरों की तुलना में अधिक है. इसे असम में सबसे प्रबल शराब माना जाता है. बोडो समुदाय के त्योहारों और अन्य अनुष्ठानों में ये शराब एक महत्तवपूर्ण स्थान रखती है.
दूसरे प्रकार की बीयर का नाम ‘मैब्रा जौ बिडवी’ है. इसे स्थानीय क्षेत्र में ‘मैब्रा जू बिडवी’ के नाम से भी जाना जाता है. इसे बोडो जनजातियों में स्वागत और सम्मान के प्रतीक के रूप में परोसा जाता है. इसे बनाने के लिए आधे पके हुए चावल को किण्वित करके, उसमें थोड़ी मात्रा में ‘अमाओ’ (खमीर का एक प्रकार) मिलाया जाता है.
इसके अलावा एक पारंपरिक चावल से बनी ‘बोडो जौ गिशी’ बीयर को भी जीआई टैग दिया गया है. बोडो जनजाति का मानना है कि यह पेय भगवान शिव से उत्पन्न हुआ था. इसलिए इसका न केवल औषधीय बल्कि धार्मिक महत्तव भी है.
व्यंजनों को भी मिला GI टैग
तीन प्रकार की बीयर के साथ-साथ चार पारंपरिक और प्रतिष्ठित व्यंजनों को भी जीआई टैग मिला है.
इसमें तीन महीने की लंबी प्रक्रिया के बाद बनने वाला ‘बोडो नफ़म’ शामिल है. यह किण्वित मछली से बना एक खास व्यंजन है.
इसके साथ ही ‘बोडो ओंडला’ को भी भौगोलिक पहचान के लिए जीआई टैग दिया गया है. यह एक प्रकार की करी है जो चावल के पाउडर से बनती है. इसमें अदरक, लहसुन और नमक का स्वाद होता है.
इसके अलावा ‘बोडो ग्वखा’ और ‘बोडो नार्ज़ी’ नामक खाद्य पदार्थों को भी ये टैग मिला है. मुख्य रूप से ‘बोडो ग्वखा’ बिहू और ब्विसागु त्योहारों के मौकों पर खाया जाता है. इस सूची में शामिल ‘बोडो नार्ज़ी’ को जूट के पत्तों से बनाया जाता है.
इसके अलावा पारंपरिक बोडो बुनकर संघ को ‘बोडो अरोनाई’ नामक कपड़े के लिए भी जीआई टैग मिला है. यह खूबसूरती से तैयार किया गया कपड़ा बोडो संस्कृति का प्रतीक है. इसका उपयोग मेहमानों का सम्मान करने के लिए किया जाता है.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस उपलब्धि पर असम और बीटीआर (बोडोलैंड टेरिटोरियल रीज़न) के लोगों को बधाई दी और इसे राज्य की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता बताया. उनका कहना है कि इन जीआई टैग्स के माध्यम से बोडो समुदाय की समृद्ध परंपराओं को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है जिससे उनकी विरासत को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी.