गोवा के अनुसूचित जनजाति संगठन मिशन पॉलिटिकल रिज़र्वेशन फॉर एसटी के मुखिया सदस्यों ने 2024 लोकसभा चुनाव में तटस्थ रहने यानि किसी भी पार्टी के पक्ष में न रहने का फैसला लिया. इस निर्णय से असहमत 4 सदस्यों ने इस संगठन को इस्तीफा सौंप दिया है.
अनुसूचित जनजाति संगठन को इस चुनावी मौसम में अपनाई जाने वाली राजनीतिक रणनीति पर भारी मतभेद का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच रूपेश वेलिप, राम कांकोंकर, सोइरू वेलिप और डॉ. सत्यवान गांवकर ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है.
कब हुई थी इस मिशन की शुरुआत ?
यह मिशन 2022 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 के तहत स्थापित और पंजीकृत हुआ था.
इसका उद्देश्य गोवा के अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण में बढ़ोतरी के लिए मांग उठाना और उन माँगों को पूरी करने के लिए लगातार प्रयासरत रहना है.
निर्माण से ही यह संगठन इस कार्य में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है.
आधिकारिक तौर पर इस मिशन की शुरुआत 18 जून 2022 को क्यूपेम में एक रैली के साथ हुई थी.
इसके बाद राजनीतिक प्रतिनिधित्व और आरक्षण के लिए संघर्ष में सबसे आगे रहे दिवंगत युवा नेता दिलीप वेलिप और मंगेश गांवकर की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए गए.
इन 2 वर्षों में, इसने इस मांग के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी की हैं.
इस संगठन ने अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए 5 फरवरी 2024 को गोवा विधानसभा परिसर में एक मोर्चा आयोजित किया.
किस मांग के पूरे न होने पर संगठन ने लिया यह फैसला ?
संगठन के प्रयास कुछ हद तक फलदायी रहे, जैसा कि गोवा विधानसभा में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव और गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को पेश करने के लिए केंद्र में कैबिनेट का निर्णय सामने आया, लेकिन यह संगठन इससे संतुष्ट नहीं है.
इस संगठन ने मांग की थी कि सरकार लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले परिसीमन आयोग का गठन करे और अनुसूचित जनजातियों को आवश्यक्तानुसार आरक्षण प्रदान करके उन्हें उचित अवसर दे.
सरकार द्वारा इस मांग को अनसुना किए जाने पर संगठन ने किसी भी पार्टी की सहायता न करने का फैसला लिया. इसके बाद संगठन ने रूपेश वेलिप, राम कांकोंकर, सोइरू वेलिप और डॉ. सत्यवान गांवकर के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है.
मिशन ने बताया कि इन सदस्यों ने व्यक्तिगत कारणों से पद छोड़े है. संगठन कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनके जाने से अपने उद्देश्यों को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों में कोई कमी नहीं आएगी.