मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने आज कहा कि भारत ने हाल ही में हुई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में म्यांमार से लोगों का अवैध तरीके से प्रवेश और मादक पदार्थों तथा मानव तस्करी की चुनौती चिन्ता का विषय है.
बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर के संकट (Manipur Violence) को गंभीरता से ले रही है. इसके साथ ही राज्य में पैदा हुए संकट का इसके जल्द समाधान का प्रयास भी किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मणिपुर का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नवगठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले सौ दिनों में पूरे किए जाने वाले प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है.
बेशक मणिपुर के मुख्यमंत्री यह दावा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार अगले सौ दिन में राज्य में जारी हिंसा को ख़त्म करने के लिए कोई ना कोई हल ज़रूर निकाल लेगी, लेकिन क्या मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों में उन्हें शामिल किया जाएगा इसमें संदेह है.
क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार 18 जून को मणिपुर (Manipur Violence) के ताजा हालात पर एक हाई लेवल मीटिंग की थी. लेकिन इस मीटिंग में मणिपुर के मुख्यमंत्री को नहीं बुलाया गया था.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में बात की थी. इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर में केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाने का फैसला लिया है.
इस मीटिंग में आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी चीफ तपन डेका, अगले सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार, असम राइफल्स के डीजी, मणिपुर के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी समेत सेना और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. अमित शाह की मीटिंग में राज्य का प्रतिनिधित्व राज्य के सलाहकार कुलदीप सिंह और मुख्य सचिव विनीत जोशी ने किया.
अमित शाह ने मणिपुर के मुख्य सचिव को विस्थापित लोगों के लिए उचित स्वास्थ्य, शिक्षा सुविधाएं और उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने रिलीफ कैंपों की स्थिति की भी समीक्षा की. साथ ही अधिकारियों को पीड़ितों के भोजन, पानी, दवाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उचित उपलब्धता का इंतजाम करने को कहा. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय शांति की स्थापना के लिए मैतेई और कुकी समुदाय से बात करेगा, ताकि जल्द से जल्द जातीय विभाजन को पाटा जा सके.
मणिपुर में 3 मई 2023 को भड़की जातीय हिंसा भड़की थी. उसके बाद से हिंसक घटनाओं की खबरें आती रही हैं. हिंसा में 220 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
यह हिंसा राज्य के मैदानी इलाकों में रहने वाले मैतई समुदाय और पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी आदिवासी समुदाय के बीच चल रही है. इस हिंसा की शुरुआत उस समय हुई जब मैतई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने संबंधी एक फैसला मणिपुर हाईकोर्ट ने दिया था.
मणिपुर में एक साल से अधिक समय से हिंसा चल रही है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी तक राज्य के लोगों से मिलने नहीं गई हैं.
जबकि इस हिंसा से प्रभावित 50000 से ज़्यादा लोग अपने घर-बार छोड़ कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हुए हैं. हजा़रों लोगों ने पड़ोसी राज्यों में शरण ली है. मणिपुर संकट के समाधान को प्राथमिकता ना देने के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की काफी आलोचना हुई है.
एक साल से हिंसा झेल रहे राज्य में केंद्र सरकार की तरफ से कुछ राजनीतिक पहलकदमी दिखाी दे रही है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर के दोनों ही समुदाय के बीच विश्वास बहाली के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएंगे.