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JLN स्टेडियम में 23 जनवरी से पहला सैन्य टैटू और आदिवासी नृत्य महोत्सव

महोत्सव का लक्ष्य नेताजी सुभाष चंद्र बोस के शौर्य के प्रति सम्मान प्रकट करना, भारत की सच्ची भावना को अपनाना और सशक्त तथा समृद्ध भारत के निर्माण का दोबारा संकल्प लेना है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर 23 से 24 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में पहली बार सैन्य टैटू और आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा. दो दिन चलने वाले उत्सव में सशस्त्र बलों के शौर्य और भारत की जनजातीय संस्कृति के विशिष्ट सौंदर्य का प्रदर्शन किया जाएगा.

अर्जुन मुंडा ने कहा कि दो दिवसीय उत्सव ‘आदि शौर्य-पर्व पराक्रम का’ भारतीय सशस्त्र बलों की शक्ति और जनजातीय संस्कृति की सुंदरता का प्रदर्शन करेगा.

मुंडा ने कहा, “यह सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य रूपों के प्रदर्शन का एक संयोजन है. आदिवासी अनादि काल से देश के संसाधनों यानी जल, जंगल और जमीन (जल, जंगल और जमीन) के रक्षक रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आदिवासियों ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.

इस कार्यक्रम में सैन्य टैटू, पैरामोटर ग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून, हॉर्स शो, मोटर साइकिल प्रदर्शनी, वायु सैनिक ड्रिल, नौसेना बैंड और देश भर के आदिवासी कलाकारों के पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन भी किया जाएगा. बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर कैलाश खेर इवेंट के ग्रैंड फिनाले में परफॉर्म करेंगे

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि महोत्सव का उद्देश्य देश के शूरवीरों के बलिदान को याद करना और उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना है जिसके कारण भारत इतना अनूठा और विविधतापूर्ण है.

महोत्सव का लक्ष्य नेताजी सुभाष चंद्र बोस के शौर्य के प्रति सम्मान प्रकट करना, भारत की सच्ची भावना को अपनाना और सशक्त तथा समृद्ध भारत के निर्माण का दोबारा संकल्प लेना है.

रक्षा मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय इस महोत्सव का आयोजन संयुक्त रूप से कर रहे हैं. जबकि भारतीय तट रक्षक कोऑर्डिनेटिंग एजेंसी है. इस कार्यक्रम में 1200 से अधिक कलाकार भाग लेंगे.

रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज में कहा, “मुख्य कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन में गौर मारिया, गद्दी नाटी, सिद्दी धमाल, बैगा परधोनी, पुरुलिया, बगुरूम्बा, घुसाड़ी, बाल्टी, लम्बाडी, पाइका, राठवा, बूदीगली, सोंगीमुखाते, कर्मा, मंघो, का शाद मस्तीह, कुम्मिकली, पलैयार, चेराव और रेखम पाडा शामिल है.”

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