तेलंगाना के कोमाराम भीम आसिफाबाद ज़िले में मानव तस्करी के दो मामलों में 5 महिलाओं को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. इस तस्करी में कुल 9 आरोपी शामिल पाए गए हैं.
गिरफ्तार महिलाओं को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
यह मामला तब सामने आया जब पुलिस को पता चला कि असिफाबाद ज़िले की दो आदिवासी महिलाओं को मध्य प्रदेश के झारवा गांव में बेच दिया गया था.
डीएसपी ने दी जानकारी
आसिफाबाद के डीएसपी रामानुजम ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय गिरोह मानव तस्करी में लिप्त हैं.
ये गिरोह खासकर आदिवासी इलाकों से गरीब और अशिक्षित महिलाओं को बहला-फुसलाकर बेचने का काम कर रहे हैं.
दोनों पीड़ित महिलाओं को पुलिस ने रेस्क्यू किया और उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें एक लाख दस हज़ार और एक लाख तीस हज़ार में बेचा गया था.
पुलिसकर्मी भी निकला आरोपी
इस पूरे मामले में हरिदास नामक एक पुलिस कांस्टेबल की भी भूमिका सामने आई है. वह 2019 में तिर्यानी में तैनात था और अब उसे सेवा से निलंबित कर दिया गया है.
सभी आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है.
इस मामले से जुड़े चार आरोपी अभी फरार हैं. उन्हें पकड़ने के लिए एक विशेष पुलिस टीम मध्यप्रदेश भेजी गई है.
पुलिस के अनुसार, एक साल पहले आसिफाबाद मंडल के वडिगोंडी गांव की एक महिला की गुमशुदगी दर्ज हुई थी. इसी केस की जांच करते हुए यह पूरा तस्करी नेटवर्क सामने आया है.
तस्करों का आसान निशाना बन रहे आदिवासी
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के एजेंसी इलाकों में रहने वाले गरीब और अशिक्षित आदिवासी लोग तस्करों के आसान शिकार बनते जा रहे हैं.
तस्कर रोज़गार का लालच देकर इन लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं.
एक एनजीओ आयोजक के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में 200 से अधिक आदिवासी लोगों की तस्करी की गई. इसमें 50 प्रतिशत बच्चे 8 से 15 साल के थे.
गरीबी और शिक्षा की कमी का फायदा उठाकर दलाल आदिवासी समुदायों का शोषण कर रहे हैं.
यह मामला केवल एक ज़िले तक सीमित नहीं है बल्कि यह दर्शाता है कि किस प्रकार से आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करने में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है.
आदिवासी इलाकों में मानव तस्करी जैसी गंभीर समस्या के खिलाफ कठोर कदम उठाने और जनजागरूकता फैलाने की सख्त ज़रूरत है.