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आदिवासी लड़के को फ़र्ज़ी मुकदमें में फ़ंसाने वालों में शामिल ड्राइवर का आत्मसमपर्ण

आदिवासी युवक फ़र्ज़ीमुकदमे के मामले में ड्राइवर जिमी जोसेफ ने आत्मसमर्पण किया हैं.

केरल के इडुक्की में आदिवासी युवक को फ़र्ज़ी मुकदमे में फ़ंसाने के मामले में वन विभाग के एक वरिष्ठ ड्राइवर जिमी जोसेफ ने आत्मसमर्पण किया हैं. वरिष्ठ ड्राइवर जिमी जोसेफ जो इडुक्की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने किज़ुकनम खंड वन कार्यालय के साथ पेश हुआ था. इस मुकदमा के जांच अधिकारी पीरमाडे डिप्टी एसपी कुरियाकोस जे ने कहा है की जिमी जोसेफ ने दो बार ज़मानत के लिए याचिका दायर कि थी और दोनों बार उनकी यह याचिका ख़ारिज कर दी गई थी.

उन्होंने यह भी कहा है की पहला आरोपी अनिल कुमार और दूसरे आरोपी वीसी लेनिन के साथ-साथ जितने भी आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, अब वे सब ज़मानत पर बाहर हैं. लेकिन 11वें आरोपी, पूर्व इडुक्की वन्यजीव वार्डन बी राहुल की गिरफ्तारी अभी बाकी हैं. उनकी अग्रिम जमानत याचिका के बारे में अभी उच्च न्यायाल विचार कर रही है.

आदिवासी युवक पर फ़र्ज़ी मुकदमे मामला

दरसल 20 सितंबर 2022 को वन विभाग के अधिकारियों ने केरल के इडुक्की के कन्नमपडी मुल्ला आदिवासी कॉलोनी में रहने वाले 24 वर्षीय ऑटोरिक्शा ड्राइवर पुथेनपुरक्कल सरुन साजी के खिलाफ फ़र्ज़ी मामला दर्ज किया गया था.आरोप के अनुसार ऑटोरिक्शा ड्राइवर पुथेनपुरक्कल सरुन साजी ने अपने ऑटोरिक्शा में जंगली जानवारों का मांस रखते थे और उसकी तस्करी करते थे. फिर वह कुझिकनम वनवासी अनिल कुमार के नेतृत्व वाली टीम के द्वारा गिरफ्तार किए गए थे.

जब ऑटोरिक्शा ड्राइवर पुथेनपुरक्कल सरुन साजी ने जमानत के लिए याचिका दायर की तब जाकर वह हिरासत से बाहर आया. उसकी गिरफ्तारी को लेकर इलाके में विरोध प्रदर्शन भी हुआ तब जाकर वरिष्ठ वन अधिकारियों द्वारा जांच कराई गई तो पता लगा की यह मामला फ़र्ज़ी हैं. जमानत से बार आने बाद उसने कहा की अगर वन विभाग के अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेगा. जिसके बाद सात अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था.

सरुन साजी ने बहुत बार वन विभाग के अधिकारियों के गिरफ्तार के लिए पुलिस थाने के चक्कर काटे पर तब भी उन अधिकारियों की गिरफ्तार नहीं हुई. जब मानवाधिकार और जनजातीय आयोग ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तब जाकर पुलिस ने 5 दिसंबर 2022 को अनुसूचित जनजाति अत्याचार जनजाति अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत 13 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. यह मामला सितंबर 2020 से अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है. हालत ये है कि इस मामले के सभी आरोपी ज़मानत पर हैं और एक मुख्य आरोपी अभी तक ग़िरफ्तार ही नहीं हुए हैं.

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