असम के कई आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 12 साल की आदिवासी लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले को उठाया है.
इन संगठनों ने नागांव जिले के राहा में 12 साल की आदिवासी लड़की की बलात्कार और हत्या में शामिल अभियुक्तों के लिए मृत्युदंड की मांग की है.
असम के नागांव जिले के एक घर में घरेलू नौकरानी के रूप में काम करने वाली नाबालिग बच्ची को जिंदा जला दिया गया था. पुलिस ने इस मामले में एक शख्स और उसके बेटे को गिरफ्तार किया है.
बताया जा रहा है कि जिंदा जलाई गई 12 साल की आदिवासी लड़की आंगलोंग जिले की रहने वाली थी. उसके मालिक ने गुरुवार को कथित रूप से उसे जिंदा जला दिया क्योंकि वह प्रेग्नेंट हो गई थी.
यह आदिवासी बच्ची पिछले 5 साल से इस घर में रह रही थी. यानि यह बच्ची मुश्किल से 7 साल की रही होगी जब उसे इस घर में लाया गया था. ऐसा लगता है कि बच्ची को उसके माँ बाप से ख़रीद कर लाया गया था.
बताया जा रहा है कि बच्ची के माँ बाप काफ़ी ग़रीब और अनपढ़ हैं.
गुवाहाटी पुलिस के अनुसार, नागांव जिले के राहा स्टेशन से पुलिस ने शुक्रवार को कुछ लोकल लोगों की शिकायतों के आधार पर 70 साल के परेश बोरठाकुर और उनके 25 साल के बेटे नयनमणि बोरठाकुर को इस केस में गिरफ्तार किया.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने दावा किया कि लड़की ने आत्महत्या की है. लेकिन शुरुआती जांच में पाया गया है कि लड़की की हत्या की गई है. लड़की के अधजले शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
पीड़िता खैहरा गांव में बीते पांच साल से बोरठाकुर परिवार के बीच घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही थी और उसे अपने घर जाने की अनुमति नहीं थी.
असम स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (Assam State Commission for Protection of Child Rights) ने एक बयान में कहा कि पड़ोसियों के अनुसार, बोरठाकुर परिवार शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़िता का शोषण करता था. इस दौरान वह प्रेग्नेंट हो गई.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा रही है. आरोपियों के खिलाफ बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) एक्ट और पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.