2018 में हुए आदिवासी युवक मधु (tribal youngster madhu) की हत्यारों द्वारा जमानत की याचिका (bail plea को केरल हाई कोर्ट (kerala high court) द्वारा ख़ारिज कर दिया गया. इस मामले की लंबी सुनवाई के बाद 14 में से 12 आरोपियों को कोर्ट द्वारा दोषी पाया गया. वहीं बचे हुए दो लोगों को बरी कर दिया गया था.
यह घटना 22 फरवरी 2018 की है. आज से करीब पांच साल पहले कुछ ऐसा घटित हुआ जिसने केरल राज्य को शर्मसार कर दिया.
राज्य के पाल्क्काड ज़िले (palakkad district) के अट्टापाड़ी में एक आदिवासी युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.
घटनास्थल में मौजूद लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मधु दुकान से खाने के लिए चावल और करी पाउडर चोरी कर रहा था. तभी उसे पास के लोगों ने देख लिया और उसे इतना पीटा की उसकी मौत हो गई.
जिसके बाद ये मामला कोर्ट तक गया. इस पूरे मामले की सुनवाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध होने वाले अपराधों के निपटान के लिए बनी विशेष अदालत में हुई.
पीड़ित के परिवार के लिए इंसाफ़ की लड़ाई आसान नहीं रही. मामले से जुड़े सभी गवाहों को लगातार धमकाया गया.
पीड़ित के परिवार द्वारा ये भी आरोप लगाए गए की इस मामले को जबरदस्ती इतना लंबा खींचा जा रहा है. कुल 27 गवाहों में से 22 अपने बयान से मुकर गए थे. तीन वकीलों ने बीच में ही मुकदमा लड़ने से मना कर दिया.
इंसाफ के इस सफर में मधु के परिवार ने 5 साल का लंबा संघर्ष किया. अंत में उन्हें 5 अप्रैल 2023 को इंसाफ मिल ही गया.
लेकिन अब ऐसा लगता है की मधु के आरोपी किसी ना किसी तरीके से मामले से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस पूरे मामले में यह तो साफ़ है कि भीड़ की तुरंत इंसाफ़ करने की मानसिकता और एक मामूली से अपराध के लिए किसी को पीट-पीट कर मार देना नॉर्मल होता जा रहा है.
लेकिन इस घटना का एक और पहलू ये भी है कि एक आदिवासी युवक चोरी को मजबूर हुआ क्योंकि वो बेरोज़गार और भूखा था.