पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से तनाव और अशांति जारी है. मणिपुर उन सवालों में शामिल हो गया है जिन पर देश के दो सबसे ताक़तवर नेता नरेन्द्र मोदी और अमित शाह जवाब नहीं दे पाते हैं
एक प्रैस कांफ्रेंसें में गृह मंत्री अमित शाह के सामने एक बार फिर यह सवाल उठाया गया. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर में स्थायी शांति के लिए मैतेई और कुकी दोनों समुदायों से बातचीत कर रही है.
इसके साथ ही शाह ने सुझाव दिया कि म्यांमार से घुसपैठ समस्या की जड़ है और इसे रोकने के लिए बाड़ लगाने का काम शुरू हो गया है.
गृह मंत्री ने कहा कि 30 किलोमीटर की बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है और केंद्र सरकार ने पूरी 1500 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने के लिए बजट को मंजूरी दे दी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में शाह ने कहा कि पिछले हफ्ते तीन दिनों की हिंसा को छोड़ दिया जाए तो मणिपुर में स्थिति कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रही है और सरकार अशांत पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए काम कर रही है.
शाह ने कहा कि तीन दिन की हिंसा के अलावा पिछले तीन महीने में कोई बड़ी घटना नहीं हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दिन से शांति है और मुझे उम्मीद है कि हम स्थिति को नियंत्रित कर लेंगे. हम दोनों समुदायों से बात कर रहे हैं. यह जातीय हिंसा थी और जब तक दोनों समुदायों के बीच बातचीत नहीं होगी तब तक कोई समाधान नहीं निकल सकता.’’
शाह ने कहा, ‘‘हम शांति बनाए रखने के लिए दोनों समुदायों से बात कर रहे हैं. हमने एक खाका तैयार किया है और हम (शांति सुनिश्चित करने के लिए) हर संभव कदम उठाएंगे.’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने मणिपुर में रणनीतिक स्थानों पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों की तैनाती का काम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिन में म्यांमार-भारत की उस सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू हो गया है जो समस्या की जड़ है.
उन्होंने कहा, ‘‘30 किलोमीटर तक बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा भारत सरकार ने सीमा पर कुल 1,500 किलोमीटर बाड़ लगाने के काम के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी है.’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने उस ‘भारत-म्यांमा मुक्त आवागमन व्यवस्था’ (FMR) को पहले ही समाप्त कर दिया है, जो भारत-म्यांमा सीमा के निकट रह रहे लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर भीतर तक जाने की अनुमति देती थी.
उन्होंने कहा, ‘‘घुसपैठ रोकने के लिए हमने म्यांमार के साथ की गई उस विशेष व्यवस्था (FMR) को समाप्त कर दिया है जिसके तहत दोनों देशों के लोगों को बिना रोक-टोक के आवागमन की अनुमति थी. अब लोग सिर्फ वीजा के साथ ही एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं. हम इस संबंध में एक कानून लाए हैं.’’
शाह ने कहा कि सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहले मौजूद रहीं सुरक्षा खामियों को भी दूर कर दिया है.
मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर एफएमआर लागू था. इसे भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत 2018 में लागू किया गया था.
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने मणिपुर में आम लोगों को उचित मूल्य पर जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए 16 नए केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार खोलने का निर्णय लिया है. मणिपुर में ऐसे भंडारों की मौजूदा संख्या 21 है.
उन्होंने कहा, ‘‘वहां एक मार्ग बाधित था. उस अवरोध को हटा दिया गया है लेकिन मौजूदा हालात के कारण ‘ट्रांसपोर्टर’ इस मार्ग से जाने से कतरा रहे थे. इसलिए दुकानें खोली गई हैं, जहां खाद्यान्न समेत करीब 100 चीजें मिलेंगी. इनकी कीमतें वाजिब हैं…गरीबों को लाभ मिलेगा. दुकानें सबके लिए खुली हैं.’’
मणिपुर में पिछले साल 3 मई को बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था और इस दौरान हिंसा भड़क गई थी. तब से जारी हिंसा में कुकी और मैतेई समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं.
शाह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की समग्र स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने क्षेत्र के विभिन्न संगठनों के साथ 11 शांति समझौते किए हैं, जिनके कारण 10,900 से अधिक युवा हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.
अमित शाह ने कहा कि अब सिर्फ एक संगठन बचा है और हम उस संगठन से भी बातचीत कर रहे हैं. मणिपुर में शांति स्थापित करने के बारे में दिए गए तमाम तथ्यों के बाद भी अमित शाह से पत्रकारों ने पूछा कि आख़िर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर क्यों नहीं गए हैं ?
इस सवाल पर गृहमंत्री असहज हुए और जवाब को टाल गए….