HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: आदिवासी गांव में शिशु मृत्यु दर में वृद्धि पर चिंता

आंध्र प्रदेश: आदिवासी गांव में शिशु मृत्यु दर में वृद्धि पर चिंता

विस्तृत जांच के बाद, इसका कारण माताओं में कैल्शियम की कमी के साथ-साथ लंबे समय पहले बिछाई गई पाइपलाइनों में जंग लगने के कारण पेयजल दूषित होना पाया गया.

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन ने विशाखापत्तनम जिले के पेडा बयालू मंडल के पथरुदकोटा गांव में शिशु मृत्यु में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने राज्यपाल के विशेष मुख्य सचिव आरपी सिसोदिया को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर आदिवासी कल्याण सचिव से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करें.

जवाब में आदिवासी कल्याण सचिव ने आदिवासी कल्याण के निदेशक से प्राप्त मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट अग्रेषित की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2018 से अब तक 14 शिशुओं की मौत दर्ज की गई है, जिनमें से 8 मौतें पिछले नौ महीनों में हुई हैं. यह भी बताया गया कि सभी शिशुओं की मृत्यु उनके जन्म के तीन महीने के भीतर हुई. ये सभी सामान्य जन्म के वजन के साथ संस्थागत प्रसव और माताओं का स्वास्थ्य अच्छा था.

विस्तृत जांच के बाद, इसका कारण माताओं में कैल्शियम की कमी के साथ-साथ लंबे समय पहले बिछाई गई पाइपलाइनों में जंग लगने के कारण पेयजल दूषित होना पाया गया.

शिशु मृत्यु को रोकने के लिए उठाए गए कदम

आदिवासी कल्याण के निदेशक ने पेयजल पाइपलाइन को बदलने, आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए दूसरी एम्बुलेंस प्रदान करने, किंग जॉर्ज अस्पताल (KGH), विशाखापत्तनम से एक बहु-विशेषज्ञ टीम की प्रतिनियुक्ति करने के कदम उठाए हैं. साथ ही गांव में एक स्टाफ नर्स को तैनात किया जाएगा जो नवजात बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति का बारीकी से निरीक्षण करेगी.

आदिवासी कल्याण विभाग ने स्तनपान कराने वाली माताओं के साथ उनके नवजात बच्चों के लिए भी मुंचिंगिपुट्टु में जन्म प्रतीक्षा गृह में रहने की व्यवस्था की. इसके साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को अतिरिक्त पोषण प्रदान करना और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) के लिए पेयजल पाइपलाइन बिछाना शामिल है.

रिपोर्ट में दीर्घकालिक उपायों को भी रेखांकित किया गया है, जैसे उचित संचार सुविधाएं स्थापित करना, रुदाकोटा और पथरुदकोटा गांवों के बीच नाले पर एक पुल का निर्माण और पीएचसी कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टर का निर्माण.

केजीएच के डॉक्टरों की एक टीम ने पथरुदकोटा गांव का दौरा किया, स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और कारण का पता लगाने के लिए पानी, मिट्टी और अन्य मापदंडों की जांच की.

प्रारंभिक मूल्यांकन के दौरान, डॉक्टरों ने पाया कि सांस लेने में दिक्कत शिशुओं की मृत्यु का एक कारण हो सकता है जो नवजात शिशुओं को संभालने के बारे में जागरूकता की कमी के चलते हुआ हो.

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