राज्य में शिक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 200 से ज़्यादा सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है.
कोविड महामारी के चलते वैसे भी स्कूल पिछले एक साल से ज़्यादा समय से बंद पड़े हैं, और छात्रों और शिक्षकों के अभाव में सरकार पर इनको चलाने में वित्तीय दबाव पड़ रहा है. इसके अलावा, माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा के बिगड़ते स्तर की वजह से सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने से झिझकते हैं.
राज्य सरकार अब ऐसे स्कूलों की पहचान कर रही है, और निष्क्रिय सरकारी स्कूलों को एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) जैसे सफल मॉडल में बदलने पर जोर दे रही है.
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की खराब गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, “सरकारी स्कूल के शिक्षकों को एनजीओ द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ाने वालों की तुलना में बहुत अधिक वेतन दिया जाता है, लेकिन इन स्कूलों में शिक्षा के स्तर में अंतर स्पष्ट है. हम सर्टिफ़िकेट धारक तो तैयार कर रहे हैं, लेकिन वास्तविक ज्ञान वाले लोग नहीं.”
अब राज्य सरकार ने तीन ईएमआरएस चलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. यह स्कूल कुरुंग कुमे ज़िले के न्यापिन, तिरप ज़िले में खेला में, और लेपराडा ज़िले के तिरबिन में चलाए जाएंगे.
अरुणाचल प्रदेश एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) सोसाइटी और तीन ग़ैर सरकारी संगठनों के बीच समझौता हुआ है. न्यापिन में स्कूल चलाने के लिए ग्यामर आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी के साथ, खेला स्कूल चलाने के लिए अरुणाचल शिक्षा विकास समिति और वीकेवी अरुणाचल ट्रस्ट के साथ तिरबिन में ईएमआरएस चलाने के लिए.
आदिवासी छात्रों को सशक्त बनाने और शिक्षित करने के लिए, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय और राज्य सरकार सामाजिक न्याय और अधिकारिता और जनजातीय मामलों के विभाग के माध्यम से ईएमआरएस के तहत राज्य के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक पहल कर रहे हैं.