HomeAdivasi Dailyकेंद्र सरकार और त्रिपुरा के दो चरमपंथी समूहों के बीच शांति समझौता

केंद्र सरकार और त्रिपुरा के दो चरमपंथी समूहों के बीच शांति समझौता

MoS पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते के अनुसार दोनों संगठनों के 328 से अधिक कार्यकर्ता अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएंगे. वे अब अपने परिवार के साथ रह सकते हैं,भारत का नागरिक बन सकते हैं.

बुधवार को केंद्र सरकार और त्रिपुरा सरकार ने राज्य में सक्रिय दो उग्रवादी संगठनों नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) के साथ शांति समझौता किया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और अन्य की उपस्थिति में गृह मंत्रालय में भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, एनएलएफटी और एटीटीएफ के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoS) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्य में उग्रवाद को समाप्त करना है.

ये दोनों संगठन त्रिपुरा को अलग देश बनाने के लिए पिछले कई दशक से सशस्त्र संघर्ष में शामिल थे. लेकिन अब समझौते के तहत एनएलएफटी और एटीटीएफ हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे, अपने हथियार डाल देंगे. दोनों संगठन अपने सशस्त्र संगठनों को भंग कर देंगे.

हालांकि 2019 में भी NLFT के साथ इसी तरह का समझौता किया गया था, लेकिन दो गुट शांति प्रक्रिया से बाहर रहे, जिससे राज्य में हिंसा जारी रही. 1989 में गठित NLFT ने 2019 में समझौते पर हस्ताक्षर होने तक बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया था.

हालांकि, पड़ोसी बांग्लादेश में छिपे बिस्वा मोहन देब बर्मा के नेतृत्व वाले दूसरे गुट ने “आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए सशस्त्र आंदोलन” जारी रखा.

MoS पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समझौते के अनुसार दोनों संगठनों के 328 से अधिक कार्यकर्ता अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएंगे. वे अब अपने परिवार के साथ रह सकते हैं,भारत का नागरिक बन सकते हैं. जबकि केंद्र ने राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास के लिए 250 करोड़ रुपये के विशेष वित्तीय पैकेज की घोषणा की है.

शाह ने कहा, “यह एक मील का पत्थर है क्योंकि इससे त्रिपुरा में 35 साल से चल रहा उग्रवाद खत्म हो गया है और राज्य में और अधिक विकास की उम्मीद जगी है, खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में. पिछले 10 वर्षों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने संघर्ष को समाप्त करने और क्षेत्र को विकास के पथ पर लाने के लिए पूर्वोत्तर में विभिन्न समूहों के साथ 12 ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “केंद्र न सिर्फ इस अधिनियम को अक्षरशः लागू करेगा बल्कि उन कारणों को दूर करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा जो युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करते हैं. हमारे आदिवासियों के कल्याण और विकास से संबंधित मुद्दों को भी संबोधित किया जाएगा.”

वहीं मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि एनएलएफटी और एटीटीएफ के साथ समझौता राज्य में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण है.

टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत देब बर्मा ने कहा, “आज इस समझौते पर हस्ताक्षर के साथ अब हम सभी 4 मार्च को हस्ताक्षरित टीआईपीआरएएसए समझौते पर काम करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं ताकि स्वदेशी टीपरासा लोगों की पहचान और सांस्कृतिक मुद्दों का समाधान किया जा सके.”

देबबर्मा ने पहले एनएलएफटी और एटीटीएफ से बातचीत के लिए आगे आने की अपील की थी.

टिपरा मोथासे भी हुआ है समझौता

इससे पहले इसी साल मार्च में त्रिपुरा के मूल निवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए इंडिजीनस प्रोग्रेसिव रीजनल अलायन्स यानी ‘टिपरा मोथा’, त्रिपुरा सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था.

इस समझौते में त्रिपुरा के जनजातियों के इतिहास, भूमि और राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों का सौहार्दपूर्ण हल का वादा किया गया है.

इस समझौते के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस समझौते से त्रिपुरा विवाद मुक्त त्रिपुरा बनने की दिशा में और आगे बढ़ गया है.

इसके बाद अब सरकार ने एनएलएफटी और एटीटीएफ के साथ समझौता किया है.

(Image credit: Tripura government)

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