छत्तीसगढ़ में विपक्षी भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों से राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का अनुरोध किया है, यह कहते हुए कि मुर्मू देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनीं पहली आदिवासी हैं.
बीजेपी ने कहा है कि अगर कांग्रेस मुर्मू के खिलाफ वोट करती है तो यह राज्य के आदिवासी समुदायों का अपमान होगा.
“छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है और इसे तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर ही राज्य का दर्जा मिला था. अब पहली बार किसी आदिवासी समुदाय की महिला राष्ट्रपति बनने जा रही है,” भाजपा के सह-संगठन सचिव नितिन नबिन ने सोमवार को रायपुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा.
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि मुर्मू की वह उम्मीदवारी का समर्थन क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने कांग्रेस विधायकों, ख़ासतौर से आदिवासी विधायकों, से दलगत राजनीति से ऊपर उठने और मुर्मू का समर्थन करने को कहा.
भाजपा ने राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में एक अभियान शुरू करने की योजना बनाई है ताकि यह उजागर किया जा सके कि एनडीए ने एक आदिवासी महिला को अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है, और कांग्रेस उसका विरोध कर रही है.
शिवसेना सांसद मुर्मू के पक्ष में
सोमवार को मुंबई में उद्धव ठाकरे के आवास पर हुई एक बैठक में शिवसेना के कई सांसदों ने उनसे राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने को कहा है. उन्होंने ठाकरे से भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का दरवाजा खोलने का भी अनुरोध किया है.
ख़बरों के मुताबिक़, 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर फैसला “एक या दो दिन में” लिया जाएगा. पार्टी सूत्रों ने यह भी बताया है कि ठाकरे ने मुर्मू का समर्थन करने के अनुरोध पर “सकारात्मक” प्रतिक्रिया की.
शिवसेना के 18 लोकसभा सांसदों में से 13 और उसके तीन राज्यसभा सांसदों में से दो ने मातोश्री में हुई बैठक में भाग लिया. उनमें से कम से कम आठ ने मुर्मू की उम्मीदवारी और भाजपा और शिंदे गुट के साथ संभावित “पैच-अप” का समर्थन किया.