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आदिवासियों के लिए विश्व मंच के रूप में उभर रहा छत्तीसगढ़: सीएम बघेल

भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.

1 नवंबर से राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ पर बोलते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं और राज्य आदिवासियों के लिए विश्व मंच बनने की ओर बढ़ रहा है.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आदिवासियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक प्रयास है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले तीन सालों में आदिवासियों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं और कई विकास योजनाओं की शुरुआत की है.

सीएम बघेल ने कहा कि इस उत्सव का उद्देश्य दुनिया के आदिवासियों को एक मंच पर लाना है ताकि वे एक-दूसरे से जुड़ सकें और अपनी संस्कृति और अपनी ताकत को संजो कर आगे बढ़ सकें. उन्होंने कहा, “हम छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए विश्व मंच बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.”

इसके अलावा भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.”

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक लघु वनोपज का उत्पादन दर्ज किया गया है, जो देश की कुल खरीद का 73 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, “आज, जनजातियों को उनके वनोपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है. हम एमएसपी में 75 वनोपज खरीद रहे हैं और मूल्य बढ़ा करके उनके लिए एक बेहतर बाजार बनाने में सफल रहे हैं. आदिवासियों को निडर होकर आगे बढ़ने और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करने के लिए वन अधिकार दिए गए हैं.”

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार प्रमाण पत्र के आवंटन में अग्रणी राज्य हैं. अभी तक 52 लाख एकड़ वन भूमि पर 4 लाख 35 हजार व्यक्तिगत और 35 हजार सामुदायिक प्रमाण पत्र दिए हैं.

उन्होंने कहा कि बाजरा मिशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है कि दूरदराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को पौष्टिक भोजन मिल सके.

(Photo Credit: @bhupeshbaghel)

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