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पीएम मोदी को जोशीमठ के जनजाति समुदायों से मिला अनुठा ‘भोज पत्र’ गिफ्ट

माणा में वन पंचायत की सरपंच बीना बडवाल ने पीएम मोदी को भोजपत्र भेंट किया. भोजपत्र का पेड़ (हिमालयन बिर्च) पश्चिमी हिमालय में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगने वाला एक पर्णपाती पेड़ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी उत्तराखंड यात्रा के दौरान जोशीमठ के सीमावर्ती क्षेत्रों के जनजाति समुदायों ने शुक्रवार को एक अनोखा भोजपत्र भेंट किया. अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ के सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले नीति-माणा घाटी के जनजाति समुदायों ने तीर्थ स्थलों को फिर से जीवंत करने के कार्य के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया और भारतीय संस्कृति की रक्षा और इसे बढ़ावा देने के उनके संकल्प की सराहना की.

उन्होंने कहा कि माणा में वन पंचायत की सरपंच बीना बडवाल ने पीएम मोदी को भोजपत्र भेंट किया. वहीं माणा गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद भी देश को गुलामी ने इस तरह जकड़ा हुआ था कि लंबे समय तक यहां अपने आस्था स्थलों के विकास को लेकर एक नफरत का भाव रहा.

जानें क्या है भोजपत्र की खासियत

भोजपत्र का पेड़ पश्चिमी हिमालय में बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है. भोजपत्र का पेड़ (हिमालयन बिर्च) पश्चिमी हिमालय में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगने वाला एक पर्णपाती पेड़ है. जिसकी लंबाई 2500 मीटर- 3500 मीटर तक होती है.

आदिकाल में जब लिखने के लिए कागज का आविष्कार नहीं हुआ था, तब वेदों और पुराणों की रचना भोजपत्र पर लिखकर की गई थी. इसका महत्व यह है कि भोजपत्र के पेड़ की छाल पर महाभारत, महाकाव्य और अन्य प्राचीन ग्रंथ लिखे गए थे.

इस पौधे की खासियत ये है कि इसके तने को किसी भी जगह पर दबाने पर गड्ढा बना जाता है और परत दर परत इसके छाल निकाले जा सकते हैं.

भोजपत्र में लिखी गई कोई भी चीज हजारों वर्ष तक रहता है. उस काल के विक्रमशिला, मिथिला, नालंदा या अन्य विश्वविद्यालय में भोजपत्र पर लिखे अनगिनत ग्रंथ थे, जिन्हें विदेशी आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिया गया था. बाद में भोजपत्र पर लिखे कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को अंग्रेजी शासनकाल में भारत से जर्मनी ले जाया गया. आज भी वे दस्तावेज जर्मनी की म्यूनिख पुस्तकालय में सुरक्षित हैं.

उत्तराखंड में मेगा प्रोजेक्ट्स की शुरुआत

पीएम मोदी ने शुक्रवार को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक किया और तीर्थयात्रियों के लिए 1267 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले रोपवे की आधारशिला रखी. केदारनाथ के लिए 9.7 किलोमीटर का रोपवे तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से मंदिर तक पहुंचने में लगने वाले समय को कम करेगा.

पारंपरिक उत्तराखंडी कपड़े पहने पीएम मोदी ने आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल पर पूजा-अर्चना की. उनके साथ राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी थे. उन्होंने लगभग 5 किलोमीटर दूर माणा गांव में एक जनसभा को भी संबोधित किया और हेमकुंड में रोपवे की आधारशिला रखी.

माणा गांव में विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद अपने मेगा सार्वजनिक संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज मैं बाबा केदार और बद्री विशाल जी की पूजा करने के बाद बेहद आनंदित और धन्य महसूस कर रहा हूं. माणा गांव भारत के आखिरी गांव के रूप में जाना जाता है लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है. सीमा पर रहने वाले सभी भारत के रक्षक हैं.”

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