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तेलंगाना: जंगलों में यूरेनियम खनन का विरोध, खनन से आदिवासी इलाके पर पड़ेगा असर

सीपीएम ने चेतावनी दी है कि वन्यजीव संरक्षण के बहाने यूरेनियम की खोज को तुरंत नहीं रोका गया तो लोग आंदोलन करने सड़कों पर उतर आएंगे.

यूरेनियम के खनन के लिए तेलंगाना के नल्लमला के जंगलों में चल रही रिसर्च के खिलाफ आवाज उठानी शुरू हो गई है.

रविवार को एक मीडिया बयान में, सीपीएम के तेलंगाना राज्य सचिव टी वीरभद्रम ने जंगल से आदिवासियों को बाहर निकले जाने की कड़ी आलोचना की.

उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि वन्यजीव संरक्षण के बहाने यूरेनियम की खोज को तुरंत नहीं रोका गया तो लोग आंदोलन करने सड़कों पर उतर आएंगे.

वीरभद्रम ने याद दिलाया कि 2019 में अचमपेट, लिंगल, बालमूर, पडारा, मन्नानूर और कोल्लापुर में परमाणु ऊर्जा विभाग के यूरेनियम की खोज करने की कोशिशों का अलग अलग संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया गया था. इसके बाद राज्य सरकार ने इस काम को रोकते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था.

यूरेनियम की खोज इस इलाके के आदिवासियों, वन्यजीवों और कृष्णा नदी के लिए एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा है.

इलाके में 115 चेंचू बस्तियां हैं, और वहां रहने वाले 3,000 आदिवासी परिवार यूरेनियम खनन से बुरी तरह प्रभावित होंगे.

इसके अलावा यूरेनियम खनन से होने वाला रेडिएशन नागार्जुनसागर और अमराबाद टाइगर रिजर्व में 2,500 वर्ग किमी क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है.

वीरभद्रम ने केंद्र सरकार से नल्लमला के जंगलों में किसी भी तरह के खनन करने की सभी कोशिशों को ‘तत्काल’ रोकने की मांग की.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

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