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नागालैंड: आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग

47 वर्षों से बिना समीक्षा के लागू आरक्षण नीति पर नागालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों ने उठाए सवाल, सुधार की मांग करते हुए सरकार को सौंपा ज्ञापन

नागालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों की एक समिति ने राज्य की नौकरी आरक्षण नीति का परीक्षण कर तत्काल सुधार करने की मांग की है. इसी संबंध में अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइजेशन नामक इस समिति ने मुख्यमंत्री नेफियू रियो को ज्ञापन सौंपा है.

अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइज़ेशन में एओ सेंडेन (एएस), लोथा होहो (एलएच), रेंगमा होहो (आरएच), और सुमी होहो (एसएच) के प्रतिनिधि शामिल हैं.

इस समिति ने ज्ञापन में चिंता जताते हुए कहा है कि वर्तमान आरक्षण नीति पिछले 47 वर्षों से बिना किसी महत्वपूर्ण समीक्षा के लागू है.

ज्ञापन में कहा गया है कि इस नीति के कारण कुछ जनजातियों को लाभ हुआ है लेकिन अब वे उन्नत जनजातियों से भी आगे निकल चुके हैं.

समिति ने बताया कि इस नीति की समीक्षा हर दस साल में होनी थी लेकिन 1989 में सरकार ने इसे अगले आदेश तक जारी रखने की अधिसूचना जारी कर दी और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.

अंगामी पब्लिक ऑर्गनाइज़ेशन का कहना है कि राज्य सरकार ने समय-समय पर बनाई गई समितियों की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू न करके केवल कुछ हिस्सों को लागू किया है और कुछ मुद्दों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है.

नज़रअंदाज़ किए गए मुद्दों में आरक्षण की समय सीमा से लेकर आंतरिक आरक्षण, पिछड़ी जनजातियों को मिलने वाले अतिरिक्त लाभ और क्रीमी लेयर तक शामिल हैं.

समिति ने आरक्षण नीति को पहले की तरह लागू रखने पर समाजिक अशांति फैलने का संकेत भी दिया.

इस संगठन ने कहा कि अगर बिना परीक्षण के इस आरक्षण नीति को जारी रखा गया तो इससे नगालैंड में अनुसूचित जनजातियों के बीच आर्थिक असंतुलन और भेदभाव बढ़ सकता है. इससे सामाजिक अशांति भी फैल सकती है, जो राज्य के लिए हानिकारक हो सकती है.

समिति का तर्क है कि यह नीति अब असमानता पैदा कर रही है और इसे ठीक किए बिना जारी रखना जोखिम भरा होगा.

इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए समिति ने आरक्षण नीति को समाप्त करने या इसमें बदलाव की मांग की है.

उनका सुझाव है कि बचा हुआ अनारक्षित कोटा केवल उन पांच जनजातियों के लिए आरक्षित किया जाए जो नगालैंड की अनुसूचित जनजाति आबादी का लगभग 55% हैं.

उनका मानना है कि इससे सभी के लिए उचित अवसर सुनिश्चित होगा और योग्यता और समानता के सिद्धांतों को बढ़ावा मिलेगा.

समिति ने कहा कि सभी जनजातियों को समान अवसर मिलना चाहिए और सरकार को राज्य में योग्यता और समानता को बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए.

इन पाँचों जनजातियों के प्रतिनिधियों ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम इंजी. तेसिनला सेमी, झातुओ किम्हो, लीमाकुम जमीर, ज़ुचुमो मोझुई और जीके झिमोमी शामिल थे.

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