पिरी के आदिवासी युवक ब्रम्हदेव सिंह की कथित तौर पर सुरक्षा बलों द्वारा की गई हत्या के खिलाफ पिरी और आसपास के गाँवों (लातेहार जिला, झारखंड) के सैकड़ों लोगों और कई जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने लातेहार जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया है.
धरने का आयोजन पीरी ग्राम सभा द्वारा कई संगठनों – अखिल भारतीय आदिवासी महासभा, अखिल झारखंड खेरवार जाति विकास परिषद, झारखंड जनाधिकार महासभा (JJM) और सयुंक्त ग्राम सभा (लातेहार, पलामू, गढ़वा) के सहयोग से किया गया था.
12 जून, 2021 को सुरक्षा बलों ने नक्सली खोज अभियान के दौरान पिरी के निर्दोष आदिवासियों पर कथित तौर पर गोलियां चलायी थी. दरअसल 12 जून को पिरी के ब्रम्हदेव सिंह समेत कई आदिवासी पुरुष हर साल की तरह सरहुल उत्सव मनाने की तैयारी कर शिकार के लिए गाँव से निकले ही थे कि उन पर जंगल किनारे से सुरक्षा बलों ने गोली चलानी शुरू कर दी.
आदिवासी पुरुष पारंपरिक सिंगल फायर भरटुआ बंदूक लेकर चले थे. जिसका इस्तेमाल ग्रामीण खरगोश, सूअर और मुर्गियों जैसे छोटे जानवरों और पक्षियों का शिकार करने और फसलों को जानवरों से बचाने के लिए किया जाता है.
सुरक्षा बलों की फायरिंग के दौरान ये लोग चिल्लाये कि वे आम लोग हैं माओवादी नहीं हैं और गोली न चलाने का अनुरोध किया. फिर भी सुरक्षा बल फायरिंग करते रहे. ऐसे में दिनानाथ सिंह के हाथ में गोली लगी और ब्रम्हदेव सिंह की गोली लगने से मौत हो गई.
स्थानीय पुलिस ने ब्रम्हदेव सिंह की हत्या और हिंसा के आरोप में दोषियों पर मामला दर्ज करने के बजाय शस्त्र अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के तहत मृत ब्रम्हदेव सिंह सहित छह पीड़ितों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
इतना ही नहीं ब्रम्हदेव की पत्नी जिरामनी देवी और ग्रामीणों द्वारा पुलिस और प्रशासन को बार-बार आवेदन देने के बावजूद ब्रम्हदेव की हत्या के लिए जिम्मेदार सुरक्षा बलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.
धरना कार्यक्रम की शुरुआत में लोगों ने मृतक ब्रम्हदेव सिंह को याद करते हुए एक मिनट का मौन रखा. धरने को कई लोगों ने संबोधित किया. धरने के दौरान लोगों ने नारे लगाए और ब्रम्हदेव के परिवार को इंसाफ दिलाने के संकल्प सहित इस संघर्ष को मंज़िल तक पहुंचाने का संकल्प लिया.
धरने के अंत में लोगों ने मुख्यमंत्री को संबोधित संलग्न मांग पत्र को उपायुक्त लातेहार को दिया, जिसमें कई मांगें रखी गई…
. ब्रम्हदेव सिंह की गोली मारकर हत्या करने वाले सुरक्षा बलों के जवानों के खिलाफ जिरामनी देवी के आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करें और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करें.
. ब्रम्हदेव समेत छह आदिवासियों पर पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी रद्द की जाए. गलत बयानबाजी और प्राथमिकी दर्ज करने पर स्थानीय पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाए.
. ब्रम्हदेव सिंह की पत्नी जीरामनी देवी को कम से कम 10 लाख रुपए का मुआवज़ा और सरकारी नौकरी दी जाए. जबकि उनके बेटे की परवरिश, शिक्षा और रोजगार की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. साथ ही बाकी पांच पीड़ितों को पुलिस द्वारा उत्पीड़न के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए.
. साथ ही नक्सल विरोधी अभियानों की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए. किसी भी गाँव के सीमा में सर्च अभियान चलाने से पहले पांचवी अनुसूची क्षेत्र ग्राम सभा व पारंपरिक ग्राम प्रधानों की सहमती ली जाए. स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाय और संवेदनशील बनाया जाए.