15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस (janjatiya gaurav divas ) के मौके पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी (union territory puducherry) में कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण पूरा देश को शर्मसार होना चाहिए.
यहां अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति (schedule caste and schedule tribe ) के सम्मान में जनजाति कल्याण विभाग (Tribal Welfare Department) द्वारा एक कार्यक्रम (programme) आयोजित किया गया.
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और राज्य के मुख्यमंत्री एन रंगासामी को आमंत्रित किया गया था.
कार्यक्रम के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यहां सिर्फ 300 लोगों की सीट का ही प्रबंध किया गया था.
इन 300 सीटों पर देखते ही देखते सरकारी अधिकारी बैठ गए. यहां जिन आदिवासियों को सम्मान देने के लिए यह समारोह हो रहा था, उन्हें ज़मीन पर बैठना पड़ा.
इस कार्यक्रम में उपस्थित कुछ लोगों ने आदिवासियों को ज़मीन पर बैठ देख कर आपत्ति दर्ज कराई. इसके बाद समारोह स्थल पर उपस्थित कई लोग नाराज़ हुए.
सभा स्थल पर एक हंगामा खड़ा हो गया. ये हंगामा करीब 15 मिनट तक चला जिसके बाद कार्यक्रम की फिर से शुरूआत की गई.
जब यह खबर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री तक पहुंची. तब तुरंत ही जिला क्लेक्टर को यह आदेश दिया गया की वो जल्द से जल्द 50 आदिवासियों के लिए कुर्सियों का प्रबंध कराएं.
इसी सिलसिले में पड़ुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के दफ्तर की तरफ से जारी एक बयान में इस घटना पर अत्यंत नाराजगी जाताई गई है. इसी के साथ ही घटना से संबंधित अधिकारियों से नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है.
एक तरफ देश में आदिवासियों को सम्मान देने की बात कहीं जाती है. दूसरी ओर ऐसी खबरें सोच में डाल देती है. क्योंकि जिसके लिए इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया. उनके लिए ही बैठने की कोई सीट उपलब्ध नहीं थी.
क्योंकि मुख्यधारा के कार्यक्रमों में हमेशा ये देखा गया है की जिनके लिए कार्यक्रम आयोजित होता है. उनके लिए अलग से सीट का प्रंबध किया जाता है. लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ.
ये सिर्फ कार्यक्रम से जुड़े आधिकारियों के खराब प्रबंध को ही नहीं दर्शाता अपितु ये भी दर्शाता है की मुख्यधारा समाज में आज भी आदिवासियों को किस नज़रीय से देखा जा रहा है.