मध्य प्रदेश के पेन्च टाइगर रिजर्व के कोकीवाड़ा बीट से बाघ के हमले की एक घटना सामने आई है. सुररेवानी गांव के निवासी 50 वर्षीय बुद्धिमान उइके पर बाघ ने तब हमला किया जब वह अपनी मवेशियों की तलाश में जंगल के अंदर गए थे.
इस हमले में उइके को सिर और हाथ में गहरी चोटें आईं. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका उपचार जारी है.
कैसे हुआ हमला?
रविवार को उइके जंगल के भीतर अपने मवेशियों को चराने ले गए थे और जो मवेशी जंगल में ही रह गए थे, वे उनको खोजने के लिए निकले थे.
उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि वह बाघ के आराम करने वाले इलाके के करीब पहुंच गए हैं. जैसे ही बाघ ने उन्हें अपने सामने खड़ा देखा, उसने अचानक उन पर हमला कर दिया.
उइके के पास बचाव का कोई साधन नहीं था लेकिन उन्होंने पास में पड़े एक लकड़ी के डंडे का इस्तेमाल किया.
हमले के दौरान उइके ने डंडे से बाघ को रोकने की कोशिश की और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे. उनकी चीख-पुकार सुनकर पास में मौजूद एक अन्य चरवाहा उनकी मदद के लिए दौड़ा.
दोनों ने मिलकर शोर मचाया और बाघ को डराने की कोशिश की.
आखिरकार, बाघ वहां से भाग गया लेकिन उइके बुरी तरह घायल हो गए.
इलाज और सरकारी मदद
घायल उइके को तुरंत पेन्च टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की मदद से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया.
इसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया. उइके के सिर और हाथों में गहरी चोटें आई हैं और उनका इलाज जारी है.
अधिकारियों ने बताया कि उइके को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है. इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें ₹500 प्रतिदिन की सहायता राशि भी प्रदान की जाएगी.
खतरे की चेतावनी
यह घटना जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चेतावनी है. यहां ये एक महत्तवपूर्ण सवाल है कि वन अधिकारियों को इस तरह के इलाकों से पहले एक साइनबोर्ड क्यों नहीं लगाया गया.
ऐसे खतरों से बचने के लिए सतर्कता बरतने और सावधानीपूर्वक जंगल में कदम रखने की आवश्यकता है. यह घटना बताती है कि थोड़ा सतर्क रहकर बड़े हादसों को टाला जा सकता है.