केरल के वायनाड ज़िले में पिछले हफ़्ते छह साल की एक आदिवासी लड़की की मृत्यु शिगेला संक्रमण से हुई थी. काट्टुनायकन समुदाय की इस लड़की के मौत के कारण की पुष्टि पोस्टमॉर्टम के बाद हुई है.
लड़की को पिछले हफ़्ते दस्त और बुखार की वजह से एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जब उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो उसे सुल्तान बत्तेरी तालुक अस्पताल में शिफ़्ट कर दिया गया था, लेकिन 4 अप्रैल को उसकी मृत्यु हो गई.
यह शिगेला से दूसरी मौत है. इससे पहले 15 मार्च को कोझीकोड में एक 59 साल के आदमी की मत का कारण भी शिगेला ही पाया गया है.
राज्य सरकार लोगों से सतर्क रहने के लिए कह रही है, क्योंकि अब तक कुल आठ लोगों में शिगेला की पुष्टि हो चुकी है. यह बीमारी संक्रमित पानी से होती है. ऐसे में जंगलों के पास रहने वाले लोग, जिनमें ज़्यादातर आदिवासी हैं, पीने के लिए पानी सिंचाई के चैनल या खुली धाराओं से लाते हैं.
ऐसी स्थिति में इनके शिगेला से संक्रमित होने की ज्यादा आशंका है. वायनाड में हैल्थ डिपार्टमेंट ने लोगों को चेताया है कि पीने का पानी पहले उबाला जाए.
ज़िला स्तर पर पीने के पानी के स्रोतों में क्लोरीन डाला जा रहा है, और लोगों से कहा गया है कि वे खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं. इसके अलावा भोजन करने से पहले और शौच के बाद साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोने की सलाह भी दी गई है.
दिसंबर 2020 में कोझीकोड ज़िले में शिगेला संक्रमण के कई मामले सामने आए थे. उस समय भी एक 11 साल की बच्ची की मौत हुई थी.
शिगेला एक बैकटीरियल संक्रमण है, जो 10 साल से कम उम्र के बच्चों में ज़्यादा खतरनाक साबित होता है.