केरल के त्रिशूर जिले के अथिरापिल्ली जंगल में वन उपज इकट्ठा करने के लिए गए दो आदिवासी लोगों की एक जंगली हाथी के हमले में मौत हो गई. पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
पुलिस को शक है कि यह घटना सोमवार (14 अप्रैल, 2025) की रात को हुई होगी. मृतकों के शव मंगलवार की सुबह पास के एक सरकारी अस्पताल में भेजे गए.
दोनों मृतकों की पहचान अंबिका और सतीश के रुप में हुई है, जो पास के वाझाचल में आदिवासी बस्ती में रहते थे.
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, अंबिका और सतीश दो अलग-अलग आदिवासी परिवारों से थे और वन उपज इकट्ठा करने के लिए एक चट्टान पर अस्थायी टेंट लगाकर वहां ठहरे थे.
अधिकारी ने आशंका जताई कि रात को जंगली हाथियों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया होगा.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह भी जांच की जा रही है कि क्या वहां और लोग भी थे और वे हाथियों को देख कर भागे तथा वन क्षेत्र में फंस गए.
इस घटना के बाद केरल में पिछले दो दिन में जंगली हाथियों के हमलों में मरने वालों की संख्या तीन हो गई.
इस घटना से पहले रविवार रात मलाक्कापारा में 20 वर्षीय एक आदिवासी युवक की हाथी के हमले में जान चली गई थी.
मृतक की पहचान मुथुवन समुदाय के सेबेस्टियन के रूप में की गई है. पुलिस के मुताबिक, अंधेरे में जंगली हाथी को देखकर तीनों युवक भागने लगे लेकिन इसी दौरान सेबेस्टियन गिर गया और हाथी ने उसे कुचल दिया.
लगातार घटित हो रही इस तरह की घटनाओं ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है और ग्रामीण इलाकों में असुरक्षा की भावना पैदा की है.
पिछले कुछ समय से केरल में हाथियों के हमले की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं. 19 फरवरी को त्रिशूर में ही प्रभाकरण नाम के एक आदिवासी, 11 फरवरी को मेप्पाडी के अट्टामाला में 26 वर्षीय बालकृष्णन और सुल्तान बाथरी के नूलपुझा में 45 वर्षीय मनु भी जंगली हाथियों के शिकार बने थे.
इसके अलावा, इडुक्की के पेरूवन्थानम में एक महिला, सोफिया इस्माइल (45), को भी एक जंगली हाथी ने कुचलकर मार डाला था.
वन मंत्री ने दिए जांच के आदेश
वहीं केरल वन मंत्री ए.के. ससीन्द्रन ने सोमवार की घटना के बाद जांच के आदेश दिए हैं. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन इस घटना की जांच का नेतृत्व करेंगे.
एक बयान में ससीन्द्रन ने कहा कि मृतक – सतीश और अंबिका जंगली शहद की कटाई के लिए जंगल में डेरा डाले हुए थे. दोनों घर लौटने में विफल रहने के बाद उनके रिश्तेदारों ने स्थानीय वन अधिकारियों के साथ एक लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज की.
इसके बाद वन अधिकारी मौके पर पहुंचे और सतीश को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया. वहीं पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों ने बाद में अंबिका के शव को पास की नदी से निकाला.
उन्होंने मौतों के सही कारण का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम जांच सहित जांच शुरू कर दी है.
विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने इन मौतों के लिए वन विभाग की मानव-वन्यजीव संघर्ष स्थितियों का पूर्वानुमान लगाने और उन्हें कम करने में कोताही बरतने को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा कि पिछले 48 घंटों में केरल में जंगली हाथियों के हमलों ने कम से कम तीन लोगों की जान ले ली.
उन्होंने कहा, “सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है. इसने जंगलों से सटे बड़े बसने वाले किसान समुदाय और वनवासियों को उनके भाग्य पर छोड़ दिया है.”
सतीशन ने वन विभाग पर जंगली हाथियों की गतिविधियों और मानव बस्तियों में उनके घुसपैठ के बारे में अनभिज्ञ होने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि विभाग राज्य में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति के लिए सही प्रतिक्रिया देने में असमर्थ प्रतीत होता है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में ही केरल में वन्यजीवों के हमलों ने 18 लोगों की जान ले ली.
उन्होंने कहा कि फरवरी में जंगली जानवरों के हमलों ने एक ही हफ्ते में पांच लोगों की जान ले ली.
केरल के व्यापक वन क्षेत्र और उच्च जनसंख्या घनत्व को देखते हुए उन्होंने कहा कि आम जनता मुख्य रूप से किसान, बागान श्रमिक और उनके परिवार वन्यजीवों के हमलों और खेतों पर हमलों के लिए अत्यधिक असुरक्षित हैं.
उन्होंने कहा कि अनियंत्रित जंगली सूअर के ख़तरे ने राज्य के बड़े हिस्से में कंद की खेती को असंभव बना दिया है. खेतों पर वन्यजीवों के हमलों ने केरल की डगमगाती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है.
विपक्ष के नेता सतीशन ने सरकार से लोगों की जान बचाने के लिए सक्रिय कदम उठाने को कहा, नहीं तो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का सामना करने की चेतावनी दी.