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आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने के लिए वरिष्ठ IPS को कोर्ट ऑफिसर नियुक्त करेगा बॉम्बे हाईकोर्ट

कोर्ट ने राज्य सरकार से जनजातीय क्षेत्रों और चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों (NGO) को शामिल करने पर विचार करने और कुपोषण के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए क्षेत्र में सुविधाएं प्रदान करने में योगदान देने के लिए कॉर्पोरेट फर्मों की मदद लेने को कहा है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण के चलते हुई मौतों की स्थिति का अध्ययन करने और रिपोर्ट करने के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डॉक्टर छेरिंग दोरजे को अपना अधिकारी नियुक्त करेंगे. वहीं राज्य के गृह विभाग से कहा कि जब राज्य के अधिकारी इस क्षेत्र में अपनी अगली पाक्षिक यात्रा करेंगे तो उन्हें आदिवासी क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी जाए.

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मेलघाट क्षेत्र और महाराष्ट्र के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण के चलते गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों की मैपिंग करने को भी कहा.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में सूचित करने के लिए भी कहा है. यह कहते हुए कि स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों सहित नियुक्त विशेषज्ञ डॉक्टरों को रोजाना आदिवासी क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करनी चाहिए.

कोर्ट ने राज्य सरकार से जनजातीय क्षेत्रों और चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों (NGO) को शामिल करने पर विचार करने और कुपोषण के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए क्षेत्र में सुविधाएं प्रदान करने में योगदान देने के लिए कॉर्पोरेट फर्मों की मदद लेने को कहा है.

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश एस कुलकर्णी की बेंच मेलघाट क्षेत्र में बच्चों के बीच कुपोषण पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें डॉ राजेंद्र बर्मा और कार्यकर्ता बंडू संपतराव साने द्वारा दायर जनहित याचिकाएं शामिल थीं जिसमें आरोप लगाया गया था कि आदिवासियों की पीड़ा को कम करने के लिए बहुत कुछ नहीं हुआ है.

कोर्ट ने एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी से राज्य के गृह मंत्री के साथ डॉक्टर छेरिंग दोरजे को आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने की अनुमति देने पर चर्चा करने के लिए कहा है.

अदालत ने कहा, “ये आंतरिक आदिवासी क्षेत्र हैं. वह (डॉक्टर छेरिंग दोरजे) आईपीएस होने के साथ चिकित्सा अधिकारी भी हैं ऐसे में उनकी विशेषज्ञता मददगार होगी. उन्होंने जेलों में बहुत अच्छा काम किया है. कृपया गृह मंत्री से परामर्श करें ताकि अगली यात्रा के दौरान वह हमारे (कोर्ट) अधिकारी के रूप में वहां जा सकें. वह उत्तर-पूर्वी भारत के एक अलग राज्य से भी आते हैं जहां आदिवासी लोग हैं इसलिए हमें उन पर भरोसा है.”

राज्य से एक पाक्षिक अनुपालन रिपोर्ट की मांग करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई 25 अक्टूबर को पोस्ट की है.

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