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कल्पना सोरेन: क्या उनका प्रचार झारखंड चुनाव में निर्णायक फ़र्क पैदा कर रहा है

झारखंड में जेएमएम (JMM) और कांग्रेस Congress) के हैवीवेट उम्मीदवार भी कल्पना सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए मांग रहे हैं. कल्पना सोरेन की सभाओं में ना सिर्फ़ भीड़ जुटती है, बल्कि यह भीड़ उनकी बातों पर प्रतिक्रिया भी देती है.

संथाल परगना के जामा विधान सभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा की उम्मीदवार लुईस मरांडी एक हैवीवेट उम्मीदवार हैं. लेकिन उन्हें भी इस बात की ज़रूरत महसूस हुई कि कल्पना सोरेन के प्रचार से उनकी जीत निश्चित हो सकती है.

16 नवंबर को कल्पना सोरेन लुईस मरांडी का चुनाव प्रचार करने जामा पहुँची. सबसे पहले कल्पना सोरेन मंच पर पहुंच कर गर्मजोशी से लुईस मरांडी से गले मिलती हैं. एक के बाद एक जनसभा में करने की थकान के बावजूद मंच पर बैठी कल्पना के चहेरे पर आत्मविश्वास झलकता है.

कल्पना सोरेन ने राजनीति में कदम ज्यादा समय पहले नहीं रखा। उन्हें एक ‘Accidental Politician’ कहा जा सकता है। लेकिन मजबूरी में सियासत में आईं कल्पना सोरेन आज राजनीति के केंद्र में हैं। उनके पास सांस लेने की भी फुर्सत नहीं। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार में जितनी मांग राहुल गांधी और हेमंत सोरेन की है, कल्पना सोरेन की  मांग उससे कम नहीं है.

राजनीति में लोग धीरे धीरे पकते हैं…उनकी भाषण शैली निखरती है. लेकिन कल्पना सोरेन के पास इतना समय नहीं था. हेमंत सोरेन के जेल में थे और उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में…कल्पना सोरेन के पास यह गुंजाईश नहीं थी कि वे चुनाव में भाषण की शैली और कला पर काम करती…लेकिन उन्होंने राजनीति में पहला ही कदम आत्मविश्वास और साहस से रखा.

उन्होंने गांडेय उपचुनाव में अपनी सीट भी जीती और पार्टी को भी सभी आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत दिलवाई. 

कल्पना सोरेन भाषण के दौरान संयम बनाए रखती हैं. वे अपनी आवाज़ को उंचा करने की बजाए अपनी बातों में गहराई लाने की कोशिश करती हैं.

वे इस बात का ध्यान रखती हैं कि वे राज्य के किस हिस्से हैं. वहां वह मुद्दों के साथ साथ स्थानीय लोगों की भाषा का भी ध्यान रखती है…इसके साथ ही वे हेमंत सरकार की योजनाओं को भी गिनवाती हैं. वे अपने भाषण में यह सुनिश्चित करती हैं कि सभा में मौजूद लोग उनके साथ Engage हो जाएं.

लोकसभा चुनाव में कल्पना सोरेन के भाषणों के केंद्र में हेमंत सोरेन की ग़िरफ़्तारी होती थी….लेकिन विधान सभा चुनाव प्रचार में वे राज्य सरकार की उपलब्धियों के साथ साथ बीजेपी पर हमलावर भी होती हैं…उनकी सभा में मौजूद लोगों में उनकी बातों का जादुई असर दिखता है, ख़ासतौर से महिला वोटर्स में.

कल्पना सोरेन अपने भाषण का बड़ा हिस्सा अपनी सरकार के काम और हेमंत सोरेन के साहस पर केंद्रित रखती हैं. लेकिन वे बीजेपी पर भी हमला बोलती हैं. उनके भाषण में वे झारखंड की बेटियों की रक्षा का वादा करने वाली बीजेपी से मणिपुर पर सवाल पूछती हैं. इसके साथ ही वे केंद्र सरकार पर आरोप लगाती हैं कि वह झारखंड का पैसा नहीं देती है.

कल्पना सोरेन का राजनीति में आना बेशक एक इत्तेफ़ाक या मजबूरी कही जा सकती है….उन्होंने राजनीति में हेमंत सोरेन की पत्नी के तौर पर एंट्री ली थी…लेकिन अब वे पार्टी की महत्वपूर्ण नेता हैं.

इस चुनाव में वे अपनी सीट गांडेय को बचाने के साथ साथ…अन्य सीटों पर अपनी पार्टी और गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए अथक प्रचार कर रही हैं.

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