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एकलव्य स्कूलों में 4 साल बाद भी आदिम जनजाति का 5 प्रतिशत कोटा नहीं भरा गया

वर्तमान सरकार ने आदिम जनजातियों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई घोषणाएं की हैं. लेकिन इन घोषणाओं को ज़मीन पर लागू नहीं किया जा रहा है.

साल 2019 में आदिवासी इलाकों में चलाए जा रहे एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूलों (EMRS) में 5 प्रतिशत सीटें आदिम जनजाति (PVTGs) के छात्रों के लिए आरक्षित की गई थीं. लेकिन 4 साल बाद भी इन स्कूलों में यह कोटा भरा नहीं जा सका है.

अनुसूचित जनजाति कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के आंकड़ों के अनुसार देश भर में चलाए जा रहे एकलव्य स्कूलों में कुल आदिवासी छात्रों का 3.4 प्रतिशत ही आदिम जनजाति (PVTGs) के छात्र हैं. 

संसद में सरकार की तरफ़ से दी गई जानकारी के हिसाब से देश भर में फ़िलहाल 476 एकलव्य स्कूल चल रहे हैं. इन स्कूलों में फ़िलहाल 1 लाख 33 हज़ार 929 छात्र पढ़ रहे हैं. इन छात्रों में से 4480 छात्र आदिम जनजाति समुदायों के हैं. 

एकलव्य स्कूलों में आदिम जनजाति के छात्रों की संख्या से जुड़े आंकड़ों से पता चलता है कि इस मामले में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और गुजरात वे राज्य हैं जिनका प्रदर्शन इस मामले में ख़राब है. ये वे राज्य हैं जहां के एकलव्य स्कूलों में सबसे अधिक संख्या में आदिवासी छात्र पढ़ते हैं. 

मध्य प्रदेश के एकलव्य स्कूलों में कुल आदिवासी छात्रों में से आदिम जनजातीयों के छात्रों की संख्या 3.8 प्रतिशत ही है. छत्तीसगढ़ में एकलव्य स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों में से सिर्फ़ 2.74 प्रतिशत आदिम जनजाति के हैं. 

इस मामले में गुजरात में हालत सबसे ज़्यादा ख़राब है. यहां पर 10 हज़ार 688 छात्रों में से सिर्फ़ 21 छात्र पीवीटीजी समुदायों से हैं. 

18 दिसबंर 2024 को संसद में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि आदिवासी इलाकों में दुर्गम क्षेत्रों, डिजिटल संपर्क की कमी और इन इलाकों में अध्यापकों के कमी रुचि कुछ कारण हैं जिनकी वजह से यहां पर शिक्षा स्तर कमज़ोर है. 

सरकार की तरफ से संसद में यह भी बताया गया है कि साल 2021-22 से लेकर साल 2023-24 तक एकलव्य स्कूलों में पीवीटीजी समुदायों के छात्रों में ड्रॉप आउट भी दर्ज होता रहा है.

एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूलों (EMRS) में आदिम जनजाति के छात्रों के लिए 5 प्रतिशत का उप-कोटा (Sub Quota) लागू करने का फैसला साल 2019 में किया गया. साल 2020 से इस फैसले को लागू किया गया है. 

केंद्र में चल रही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आदिवासियों में भी सबसे कमज़ोर समुदायों के विकास के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं. इन घोषणाओं में से एक पीएम जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान यानि पीएम-जनमन है.

इस अभियान के तहत सरकार ने घोषणा की है कि वह आदिम जनजातियों के छात्रों के लिए कम से कम 500 हॉस्टल का निर्माण करवा रही है. 

देश के आदिवासी इलाकों में चल रहे एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूलों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने साल 2018-19 में फैसला किया था. संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत सरकार ने 440 नए एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल स्थापित करने की घोषणा की थी.

सरकार ने इन स्कलों को साल 2022 तक स्थापित कर देने का लक्ष्य रखा था. लेकिन बाद में यह समय सीमा साल 2025 तक बढ़ा दी गई थी. 

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