HomeLaw & Rightsसोनापुर बेदखली अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सोनापुर बेदखली अभियान पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर 2024 को एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बिना अदालत की अनुमति के देशभर में किसी भी जगह विध्वंस नहीं किया जा सकता है. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. इस पर कोर्ट ने क्या कहा ?

सुप्रीम कोर्ट ने असम के सोनापुर में जारी बेदखली अभियान पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सभी पक्षों को आदेश दिया है कि वे अपनी वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव न करें. यानी अभी के लिए बेदखली अभियान रुक जाएगा और सभी पक्षों को शांति से मामले का समाधान निकालना होगा.

अदालत ने यह फैसला उस याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया जिसमें सोनापुर क्षेत्र के 40 से अधिक निवासियों ने अदालत के 17 सितंबर 2024 के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अदालत ने बिना अनुमति के देशभर में किसी भी प्रकार के विध्वंस कार्य पर रोक लगाई थी, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय अधिकारियों ने विध्वंस प्रक्रिया शुरू कर दी थी.

याचिकाकर्ताओं के वकील हुजेफा अहमदी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए बिना किसी सूचना या नोटिस के मकानों पर लाल स्टिकर चिपकाकर उन्हें विध्वंस के लिए चिन्हित कर दिया.

इस पर जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बैंच ने असम सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कहा कि अगले आदेश तक स्थिति जैसी है वैसी ही बनाई रखी जाए.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से काचुटोली गांव में रह रहे हैं और उनके पास इन जमीनों का मालिकाना हक नहीं है. हालांकि वे एक वैध कानूनी प्रक्रिया पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर इन जमीनों पर रह रहे हैं. याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने कभी भी ज़मीन के स्वामित्व का दावा नहीं किया बल्कि उन्हें यह भूमि मूल जमीन मालिकों द्वारा रहने के लिए दी गई थी.

उन्होंने यह भी कहा कि वे इन ज़मीनों पर शांति से रह रहे हैं और उनका किसी भी स्थानीय जनजातीय या संरक्षित समुदाय के साथ कोई विवाद नहीं है.

इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि वे और उनके पूर्वज 1950 के दशक से इन जमीनों पर रह रहे हैं और उस समय यह क्षेत्र जनजातीय बेल्ट में शामिल नहीं था.

उन्होंने बताया कि जनजातीय बेल्ट की सीमाओं का सही तरीके से निर्धारण नहीं हुआ है और उन्हें बिना किसी ठोस आधार के अवैध अतिक्रमणकारी बताया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर 2024 को एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बिना अदालत की अनुमति के देशभर में किसी भी जगह विध्वंस नहीं किया जा सकता है.

हालांकि सार्वजनिक स्थलों पर हुए अतिक्रमण पर यह आदेश लागू नहीं होता.

सोनापुर के निवासियों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन ने इस आदेश का पालन नहीं किया और बिना किसी सूचना के बेदखली अभियान को जारी रखा है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को लेते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments