देश के दो अलग-अलग राज्यों में आदिवासी समुदाय की युवतियों के साथ भयावह अपराधों ने एक बार फिर समाज और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
एक ओर ओडिशा में एक नाबालिग लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई, तो वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक युवती का अपहरण कर जबरन शादी कराकर 12 दिन तक बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार किया गया.
दोनों ही मामलों में पीड़ित महिलाओं के परिवारों ने पुलिस की लापरवाही और देरी से कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
ओडिशा के केओंझार का मामला
ओडिशा के क्योंझर ज़िले के पंडापाड़ा इलाके में एक 17 साल की आदिवासी लड़की के साथ बेहद दर्दनाक घटना घटी. 16 जून को वह घर से शौच के लिए निकली थी लेकिन वापस नहीं लौटी.
अगले दिन यानी 17 जून को गांव वालों ने उसकी लाश एक पेड़ पर लटकी हुई पाई. लाश मिलने के बाद उसके परिवार ने तुरंत आरोप लगाया कि उनकी बेटी के साथ गैंगरेप किया गया और फिर उसकी हत्या करके लाश को पेड़ पर लटका दिया गया ताकि यह आत्महत्या जैसा लगे.
जिस जगह पर लड़की की लाश लटकी मिली, वहां से पुलिस ने खून से सने कपड़े और कुछ अन्य चीज़ें भी बरामद की हैं.
ये सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि यहां उसके साथ हिंसक घटना घटी होगी.
लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत (FIR) दर्ज कराते हुए साफ कहा कि उनकी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसकी हत्या की गई और फ़िर उसे फांसी देकर आत्महत्या का नाटक किया गया.
पंडापाड़ा पुलिस स्टेशन के इंचार्ज (IIC) लक्ष्मीकांत प्रधान ने कहा कि जांच सभी दृष्टिकोणों से की जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा कि क्या यह गैंगरेप का मामला था.
घटना के बाद पुलिस ने दो लोगों को पहले हिरासत में लिया था.
जांच आगे बढ़ने पर गुरुवार को पुलिस ने कुल चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस का कहना है कि इनमें से एक आरोपी पीड़िता को जानता था.
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 70(2) (सामूहिक बलात्कार), 103(1) (हत्या) और 49 (उकसाना) के तहत, साथ ही पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा का है दूसरा मामला
इसी बीच मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से एक आदिवासी युवती ने गुरुवार को मीडिया के सामने आकर अपना दर्द बयां किया.
उसने बताया कि कैसे उसका अपहरण किया गया. इसके बाद जबरन शादी कराई गई और 12 दिनों तक बंधक बनाकर उसके साथ गैंगरेप किया गया.
पीड़िता ने बताया कि वह आदिवासी समाज से है और कम पढ़ी-लिखी है. 1 जून को वह छिंदवाड़ा के गुरैया इलाके में एक वेयरहाउस में मज़दूरी करने गई थी.
शाम को बाज़ार से सामान खरीदते समय आरोपी अंजू ने शीतल नाम के एक और आरोपी को फोन किया.
इसके बाद आरोपी मोंटी और शीतल उसे ज़बरदस्ती एक दोपहिया वाहन पर बैठाकर गुरैया देव स्थित एक घर में ले गए. वहां उसे रात भर एक कमरे में बंद करके रखा गया.
पीड़िता के मुताबिक, अगले दिन सभी आरोपियों ने उसे पीटा और एक गाड़ी में डालकर छिंदवाड़ा के पातालेश्वर मंदिर ले गए. वहां आरोपी सुनील कंटक के साथ उसकी जबरदस्ती शादी करा दी गई
शादी के बाद पीड़िता को घर में कैद कर लिया गया और उसका मोबाइल फोन भी छीन लिया गया.
युवती ने बताया कि अगले 12 दिनों तक लगातार उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. उसे जान से मारने की धमकियां भी दी गईं. उसने नाम लेकर सात आरोपियों का ज़िक्र किया.
पीड़िता के परिजनों ने उसके गायब होने के अगले दिन ही छिंदवाड़ा के देहात थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.
पीड़िता और उसके परिवार का गंभीर आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत के बावजूद समय रहते कोई सक्रिय कार्रवाई नहीं की.
देहात थाना प्रभारी जीएस राजपूत ने कहा कि युवती ने शिकायत की है और पुलिस जांच कर रही है.
जांच पूरी होते ही मामला दर्ज कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता के बयान के मुताबिक, आरोपी खुद उसे देहात थाना क्षेत्र के पास छोड़कर चले गए थे.
ये दोनों घटनाएं आदिवासी समुदाय की महिलाओं और लड़कियों के प्रति बढ़ते अपराध और हिंसा की भयावह तस्वीर पेश करती हैं.
ओडिशा में पीड़िता को निर्ममता से मार दिया गया जबकि छिंदवाड़ा की पीड़िता को शारीरिक और मानसिक रूप से कुचलने की कोशिश की गई.
दोनों ही मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं.
ओडिशा में गिरफ्तारियां हुई हैं, लेकिन न्याय मिलने का इंतज़ार है. वहीं छिंदवाड़ा में पुलिस की प्रारंभिक निष्क्रियता पीड़िता के दर्द को और बढ़ाती है.
यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या हाशिए पर रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों को न्याय और सुरक्षा मिल पाती है?