पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर के इस्लामपुर सब-डिवीजन के एक गांव में एक आदिवासी जोड़े का रविवार को स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने सिर मुंडवा दिया. यह निर्णय “सलीशी सभा” में लिया गया था, जिसमें दोनों पर अवैध संबंध होने का आरोप लगाया गया था.
इतना ही नहीं दोनों को पेड़ों से बांधकर पीटा भी गया.
पुलिस को सूचना मिली और वे दोनों तक पहुंच गई. उनमें से एक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके आधार पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
सूत्रों ने बताया कि इस्लामपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गांव की एक महिला, जो शादीशुदा थी. उसका स्थानीय युवक से प्रेम-संबंध था. हाल ही में वे दोनों गांव से भागकर बिहार चले गए और वहां उन्होंने शादी कर ली.
उनके परिवारों ने उनकी तलाश शुरू की और आखिरकार उन्हें ढूंढ निकाला. दोनों को गांव लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
रविवार को गांव में कंगारू अदालत बुलाई गई. वहां दोनों की पिटाई की गई और सजा के तौर पर उनके सिर मुंडवा दिए गए.
घटना के दौरान एक ग्रामीण ने वीडियो बनाया जो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय पंचायत सदस्य मोहम्मद नबीश आलम ने कहा कि सूचना मिलते ही वे मौके पर पहुंचे.
उन्होंने कहा, “मैंने देखा कि दोनों को पेड़ से बांध दिया गया था और मैंने ग्रामीणों से उन्हें मुक्त करने को कहा. लेकिन ग्रामीणों के एक वर्ग ने मेरी बात नहीं सुनी और जबरन उनके सिर मुंडवा दिए. यह पूरी तरह अनुचित था.”
इस्लामपुर में आदिवासियों के संगठन आदिवासी जामी रक्षा समिति के ब्लॉक अध्यक्ष जसकेल हंसदा ने भी घटना की निंदा की.
हंसदा ने कहा, “हम इस तरह के कृत्य की निंदा करते हैं और चाहते हैं कि प्रशासन और पुलिस इसमें शामिल लोगों के खिलाफ उचित कदम उठाए.”
इस्लामपुर में पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं.
इस्लामपुर पुलिस जिले के पुलिस अधीक्षक जॉबी थॉमस ने कहा, “शिकायत के आधार पर हमने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. हमारे अधिकारी कुछ अन्य लोगों की तलाश कर रहे हैं. हमने पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.”
क्या है कंगारू कोर्ट
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी इसे लोगों के एक समूह द्वारा आयोजित एक अनौपचारिक अदालत के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें किसी शख्स को, विशेष रूप से ठोस सबूत के बिना, किसी अपराध या दुष्कर्म का दोषी माना जाता है.
कुल मिलाकर कंगारू कोर्ट एक तरह की अवैध अदालत या पंचायत की तरह होती है. इसमें नियम-कानून को नजरअंदाज करके लोग अपनी मर्जी से दूसरे लोगों पर आरोप थोपते हैं और उनको सजा देते हैं. इसमें बिना किसी सबूत के एकतरफा फैसले सुना दिए जाते हैं, जिसे लेकर यह कई बार सवालों के घेरे में रहता है.