झारखंड के बोकारो जिले में एक 43 वर्षीय आदिवासी शख्स ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मदद की गुहार लगाई है. क्योंकि इस शख्स का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने उसे गलत तरीके से माओवादी के रूप में फंसाया और ब्रांडेड किया है, जो उसे सरेंडर करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि उसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम है.
एक स्थानीय अधिकार कार्यकर्ता ने आदिवासी व्यक्ति जिसका नाम बिरसा मांझी है, की ओर से एक पत्र ट्वीट किया है. बिरसा मांझी अशिक्षित है और एक मजदूर के रूप में काम करता है.
चार बच्चों के पिता बिरसा मांझी ने पत्र में दावा किया है कि उन्हें अपनी जान का डर है और वह चाहते हैं कि उनका नाम साफ हो जाए. मांझी बोकारो जिले के जोगेश्वरनगर थाना क्षेत्र के चरपनिया गांव की रहने वाले हैं.
मांझी के 20 वर्षीय बेटे सुनील बसकी ने मंगलवार को हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि उसके पिता को पिछले महीने थाना प्रभारी ने तलब किया था और आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था क्योंकि वह वांटेड माओवादी थे और उनके ऊपर 1 लाख रुपए का इनाम था.
बास्की ने कहा, “हम पढ़े-लिखे नहीं हैं. हमें यह भी नहीं पता कि किस मामले में पिता का नाम माओवादी रखा गया है. स्टेशन पर पुलिसकर्मियों ने मेरे पिता से कहा कि अगर वह आत्मसमर्पण कर देते हैं तो उन्हें कुछ पैसे भी मिल सकते हैं.”
हालांकि कुछ ग्रामीण और कार्यकर्ता इस मामले में बिरसा मांझी की मदद कर रहे थे. वहीं झारखंड जनाधिकार महासभा जो एक अधिकार समूह है के सिराज दत्ता, जो मांझी की मदद कर रहे हैं, ने कहा कि वह व्यक्ति निर्दोष है और यह गलत पहचान का मामला लगता है.
सिराज ने कहा, “मांझी 2006 में जादू टोना के एक पुराने मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. उस मामले के अन्य आरोपियों की तरह उसे भी बरी कर दिया जाएगा क्योंकि वह निर्दोष है. लेकिन अब कहीं से भी उसे माओवादी के रूप में ब्रांडेड किया गया है. 2018 में, जब मांझी काम के लिए आंध्र प्रदेश में थे तब उनके घर पर उनका सारा सामान पुलिस ने कुर्क कर लिया था. उनके परिवार को उचित नोटिस भी नहीं दिया गया था और वे अभी भी नहीं जानते कि किस मामले में कार्रवाई की गई थी. हम सीएम से मामले में हस्तक्षेप करने और इस गरीब आदिवासी को राहत देने की मांग करते हैं.”
वहीं 2006 के मामले में बिरसा मांझी की ओर से पेश हुए लक्ष्मी प्रसाद ने कहा कि वह निर्दोष हैं और उनके बरी होने की संभावना है. प्रसाद ने कहा, “मामले के छह अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है क्योंकि आरोप नहीं चल सके. इस आदमी पर अभी भी मुकदमा चल रहा है क्योंकि वह सुनवाई के लिए पेश नहीं हो सका क्योंकि वह गरीब आदमी है जो काम के लिए भटक रहा है.”
नए आरोपों पर लक्ष्मी प्रसाद ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई इल्म नहीं है कि पुलिस किस मामले में मांझी को आत्मसमर्पण करना चाहती है.
जबकि जोगेश्वरनगर थाना प्रभारी कन्हैया राम ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने मांझी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. राम ने कहा, “मैंने उसे नहीं बुलाया और मैं उससे मिला भी नहीं. अगर वह एक लाख रुपये का इनामी माओवादी है तो क्या मैं उसे आज़ाद चलने देता? सिर्फ वही बता सकता है कि वह पुलिस स्टेशन में किससे मिला था.”
पूछने पर कि क्या 2018 में अपनी संपत्ति को बिना किसी नोटिस के कुर्क करने के आरोप के अलावा क्या मांझी के खिलाफ उनके पुलिस स्टेशन में कोई मामला लंबित है? इस पर कन्हैया राम ने कहा, “मुझे रिकॉर्ड की जांच करनी होगी क्योंकि यह पुलिस स्टेशन कुछ साल पहले ही स्थापित किया गया था और कई फाइलें अभी भी महुआटांड पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड रूम में हैं, जहां से जोगेश्वरनगर स्टेशन बनाया गया था.”