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BJD ने बीजेपी को कहा ‘आदिवासी विरोधी’, एसटी सूची में 169 समुदायों को शामिल नहीं करने के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया

प्रदीप मांझी ने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ओडिशा के आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है. एसटी सूची में इन समुदायों को शामिल नहीं करना केंद्र के आदिवासी विरोधी रवैये को दर्शाता है. राज्य के आदिवासी जिलों के लोग इस भेदभाव से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वे आने वाले आम चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देंगे.

बीजू जनता दल (BJD) ने शुक्रवार को 169 आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) श्रेणी में शामिल करने की मांग की और केंद्र को मांग पूरी नहीं करने पर सड़कों पर उतरने की धमकी दी.

बीजेडी ने 169 समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने में कथित देरी के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए बीजेपी को ‘आदिवासी विरोधी’ करार दिया और उनकी उपेक्षा के लिए भी उसे जिम्मेदार ठहराया.

यह आरोप बीजेडी के राज्य महासचिव प्रदीप मांझी ने लगाया है, जो दक्षिणी ओडिशा में पार्टी के आदिवासी चेहरे भी हैं. वहीं बीजेपी ने ओडिशा के आदिवासियों की उपेक्षा के बीजद के दावे को सिरे से खारिज कर दिया.

बीजद नेता प्रदीप मांझी ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ओडिशा सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग की सूची में आदिवासी समुदायों को शामिल करने के लिए पहले ही 169 प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन केंद्र ने अभी तक इस पर फैसला नहीं किया है.

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार बार-बार केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार से 169 समुदायों को ओडिशा एसटी सूची में शामिल करने का अनुरोध कर रही है लेकिन उसने इसे नजरअंदाज कर दिया है.”

उन्होंने कहा कि एक साल पहले जिला परिषद चुनाव में राज्य के सभी 30 जिलों में भगवा पार्टी की हार का कारण इस मुद्दे पर उसका दोहरा मापदंड हो सकता है. माझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जहां समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वहीं भाजपा घड़ियाली आंसू बहा रही है.

ओडिशा की एसटी सूची में समुदायों को शामिल करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पास लंबित हैं. 16 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एसटी सूची में पौड़ी भुइयां, चुक्तिया भुंजिया, दुरुआ धुरुआ, धुरवा, उरम, धंगारा, ओराम/उरांव, उरांव मुडी और कई अन्य को शामिल करने पर विचार करने के लिए जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को एक पत्र लिखा था. लेकिन इसे अभी केंद्र की मंजूरी मिलनी बाकी है.

मांझी ने कहा कि राज्य सरकार ने अलग-अलग समय पर कई प्रस्ताव दिए हैं लेकिन केंद्र इस संबंध में कोई जरूरी कदम नहीं उठा रहा है.

उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ओडिशा के आदिवासियों की उपेक्षा कर रही है. एसटी सूची में इन समुदायों को शामिल नहीं करना केंद्र के आदिवासी विरोधी रवैये को दर्शाता है. राज्य के आदिवासी जिलों के लोग इस भेदभाव से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वे आने वाले आम चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देंगे.

मांझी ने कहा कि पटनायक राज्य में आदिवासियों के विकास और कल्याण के लिए काम कर रहे हैं और उनकी बीजद सरकार ने पांच लाख आदिवासी लड़कियों को छात्रावास मुहैया कराया है. उन्होंने कहा कि 117 ब्लॉक, 2022 ग्राम पंचायत, 18687 गांव और 14.05 लाख अनुसूचित जनजाति के परिवारों को कवर करते हुए राज्य के नौ आदिवासी बहुल जिलों में विशेष विकास परिषदें स्थापित की गई हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा कि दूसरी ओर बीजेपी ने हमेशा ओडिशा में आदिवासियों की उपेक्षा की है और केंद्र की सरकारों ने 169 समुदायों को अनुसूचित जनजातियों को दी जाने वाली सुविधाओं से वंचित कर उनकी उपेक्षा की है.

मांझी ने कहा कि उसी वर्ष 10 अक्टूबर को केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्रालय से ओडिशा की एसटी सूची में तोमोदिया भूमिज, तमाड़िया भूमिज, तमुंडिया भूमिज, तमुलिया भूमिज सहित 20 समुदायों को शामिल करने का आग्रह किया गया था लेकिन केंद्र गैर-प्रतिक्रियाशील रहा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को पटनायक ने कई राष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया था और उन्होंने कई मौकों पर केंद्र को लिखा था.

उधर बीजेपी के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता गोलक महापात्रा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बीजद का आरोप सिर्फ आंखों में धूल झोंकने वाला है. उन्होंने कहा कि सभी आदिवासी कार्यक्रम केंद्र द्वारा वित्त पोषित हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों को पर्याप्त महत्व देते हैं और इसलिए एक आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति है और ओडिशा का एक आदिवासी पुरुष केंद्रीय मंत्री है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से हैं और बिशेश्वर टुडू, जो मयूरभंज जिले से बीजेपी सांसद हैं, केंद्रीय जल शक्ति और आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री हैं.

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