तमिलनाडु के पहाड़ी इलाकों में रहने वाली आदिवासी महिलाओं को रोज़ आवाजाही में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
राज्य के तुरैयुर में स्थित पचैमलाई एक छोटा आदिवासी कस्बा है. इस इलाके में तकरीबन 3000 महिलाएं रहती है.
इनमें से ही एक आदिवासी महिला ने अपनी कठिनाईयों के बारे में बताया. राजेन्द्र ने कहा, “उप्पिलियापुरम या थुरैयुर के लिए बस पकड़ने के लिए मुझे अपने गांव से सेमुपुलुंजप्पाति बस स्टॉप तक 6 किमी पैदल चलना पड़ता है.
मेरे रोज़ आने-जाने में 60 रूपये लग जाते हैं. रोज़ आवाजाही में इतने पैसे खर्चना मेरे जैसे मज़दूर के लिए बहुत ज्यादा है.”
राजेन्द्रन की तरह यहां पर ज्यादातर महिलाएं मज़दूरी और छोटे-मोटे काम के लिए जाती हैं.
अगर 100 रूपये कमाने वाली ये महिलाएं 60 रूपये आवाजाही में खर्च कर देंगी तो इनकी कमाई का क्या कोई अर्थ रहेगा?
राज्य सरकार द्वारा ‘ विद्याल पायनम ‘ योजना की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है.
इस योजना के तहत पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट में फ्री बस सुविधा की शुरुआत की गई थी. हालांकि, पचमलाई क्षेत्र को इस योजना से वंचित रखा गया.
आदिवासी महिलाओं का आरोप है की उनके क्षेत्र में यह फ्री बस सुविधा नहीं दी गई है.
उनकी सरकार से यह मांग है की उनके इलाके में भी यह फ्री बस सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.
अगर इन आदिवासी इलाकों में फ्री बस सुविधा आती है तो यहां की महिलाओं को भी गांव से बाहर जाने का मौका मिलेगा.
वहीं इस इलाके में काम करने वाली महिला ने कहा कि अगर यहां फ्री बस सुविधा उपलब्ध हो जाएगी तो यह पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. जिससे हमें भी फायदा होगा.