HomeAdivasi Dailyआदिवासी महिला की मौत से जागा प्रशासन, डॉक्टर बहाल करने का वादा

आदिवासी महिला की मौत से जागा प्रशासन, डॉक्टर बहाल करने का वादा

करेल के मलक्कप्पारा में 90 साल की वृद्ध आदिवासी महिला की मौत के बाद प्रशासन जागा है. इस क्षेत्र के एक नज़दीकी क्लिनिक में ना ही डॉक्टर है और ना ही कोई पैरामेडिकल स्टाफ. अब प्रशासन द्वारा ये वादा किया गया है की जल्द ही क्लिनिक में डॉक्टर की नियुक्ति की जाएगी.

हाल ही में केरल (Kerala) के मलक्कप्पारा (Malakkappara) से 90 साल की वृद्ध आदिवासी, कमलम्मा पट्टी की मृत्यु की खबर मिली थी.

कमलम्मा पट्टी के शरीर में कीड़े पड़ गए थे. उनकी देखरेख करने वाला कोई मौजूद नहीं थी. इलाज में देरी और मेडिकल टीम की लापरवाही के चलते इनकी मौत हो गई है.

ये भी पता चला है की इस क्षेत्र में एक क्लिनिक तो है लेकिन उसमें ना तो डॉक्टर और ना ही कोई पैरामेडिकल स्टाफ काम कर रहा है. कुछ दिनों से इस क्लीनिक को स्वीपर और अटेंडेंट ही चला रहे है.

इस क्लीनिक में डॉक्टर नहीं होने की एक वजह ये भी है कि पहाड़ी इलाकों में डॉक्टर नियुक्ति (hire doctor) नहीं चाहते हैं. क्योंकि ये दुर्गम इलाके हैं और यहां आना-जाना मुश्किल होता है.

इस संदर्भ में जिला कलेक्टर, वी आर कृष्ण तेजा ने बताया की प्रशासन द्वारा यहां पर डॉक्टर नियुक्त करने के लिए विभिन्न संस्थानों से बात हो रही है.

इसी सिलसिलें में जिला जनजातीय अधिकारी, सी हेराल्ड जॉन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार नए डॉक्टर को अस्थायी रूप से 31 मार्च, 2024 तक काम पर रखा जाएगा.

इसके अलावा चयनित डॉक्टर को 55,205 रुपये वेतन देने का वादा भी किया गया है.

प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक खास तौर पर आदिवासी इलाकों में प्रशासन द्वारा अनुभवी डॉक्टरों को ही नियुक्त किया जाएगा.

अतिरापिल्ली पंचायत के पूर्व अध्यक्ष और आदिवासी कार्यकर्ता, तंकम्मा वर्गीस बताती है की जब उनके बच्चे की डिलीवरी में कुछ ही दिन का समय रह गया था, तब आदिवासी क्लिनिक के डॉक्टर ने अपनी नौकरी छोड़ दी.

उस समय पैरामेडिकल स्टाफ भी यह कहकर क्लिनिक नहीं पहुंचे की रास्तें में जाम है. जाम होने का कारण था की अतिरापल्ली-मलक्कप्पारा सड़क की मरम्मत के चलते प्रतिबंध लगा दिया गया था.

एक और निवासी थैंकम्मा ने बताया की बीमार आदिवासियों के लिए एम्बुलेंस भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती हैं. क्योंकि अस्पताल के अधिकारी इस बात पर जोर देते रहते हैं की मरीजों दवारा ही  वाहन के डीजल का खर्च उठाया जाए.

दूसरा कारण यह बताया गया है कि एंबुलेंस में जीपीएस नहीं लगा है. उन्होंने कहा, लगभग दो हफ्ते पहले, एक बीमार आदिवासी लड़की को एम्बुलेंस देने से इंकार कर दिया गया था, जबकि उसके रिश्तेदारों ने उसे कठिन पहाड़ी इलाकों से होते हुए स्ट्रेचर के ज़रिए मुख्य सड़क तक पहुंचाया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments