आदिवासी सुदूर इलाकों में दवाईयां, खाना, पानी पहुंचाने में बहुत कठिनाई होती है. जिसके कारण ऐसे इलाकों में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
लेकिन आज के युग में कुछ भी नामुमकिन नहीं है. आधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी से कहीं पर भी कुछ भी पहुंचाया या भेजा जा सकता है.
राजस्थान के सिरोही जिले से कुछ ऐसी ही खबर आई है…जोधपुर एम्स ने सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन के सामने स्थित जनजातीय छात्रावास में (सेटेलाईट सेन्टर ड्रोन) इलाज की सुविधा शुरू की है.
जोधपुर एम्स ने अनमैन्ड एरियल वेहिकल (Unmanned Aerial Vehicle – UAV) के ज़रिए आदिवासियों के लिए यह पहल की है.
इस पहल का नाम ड्रोन सहायक चिकित्सा पायलट प्रोजेक्ट (Drone Assisted Medical Pilot Project) है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ड्रोन की सहायता से 80 किलोमीटर की रेंज के अंतर्गत आने वाले आदिवासी इलाकों में दवाईयां पहुंचाई जाएंगी.
इस प्रोजेक्ट के कारण अब राजस्थान के सिरोही जिले के दुर्गम रास्ते वाली जगह तक आसानी से दवाईयां पहुंचाई जा सकेंगी.
लोगों को दुर्गम रास्तों से जाते हुए बहुत वक्त लग जाता है. इस सेवा के ज़रिए अब कोई भी अस्पताल अपनी दवाओं को दूर दराज के इलाकों तक पहुंचा सकेगा.
यह सुविधा निश्चित ही एक अच्छी पहल नज़र आती है. लेकिन अभी यह सुविधा एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरु की गई है. इसकी कामयाबी और परिणामों के लिए इंतज़ार करना होगा.
इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा की आदिवासी इलाकोें में तकनीकि के साथ साथ मानवीय हस्तक्षेप की ज़रूरत है. आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करने की भी ज़रूरत है.
अक्सर यह देखा जाता है कि दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी जाने से कतराते हैं.