HomeAdivasi Dailyबीजेपी का आदिवासी आउटरीच अभियान, दावे और हक़ीकत

बीजेपी का आदिवासी आउटरीच अभियान, दावे और हक़ीकत

बीजेपी को 2014 के बाद से चुनाव जीतने वाली मशीन मान लिया गया है. पार्टी चुनाव जीतने के लिए समाज में लगातार नए नए समीकरण बनाने और बिगाड़ने की जुगत में लगी रहती है. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 2014 और 2019 दोनों बार आदिवासी इलाकों में अच्छी सफलता मिली थी. लेकिन साल 2018 में राजस्थान और मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में आदिवासियों ने विधान सभा चुनाव में बीजेपी को हरा दिया था.

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आदिवासी वोटों को मजबूत करने के इरादे से भारतीय जनता पार्टी समुदाय के बीच बड़े पैमाने पर पहुंच अभियान चला रही है और 75 लाख आदिवासी परिवारों तक पहुंच रही है.

पार्टी के एसटी मोर्चा ने कहा कि यह आउटरीच जन संपर्क अभियान का हिस्सा है, जो पार्टी द्वारा शासन में नौ साल का जश्न मनाने के लिए शुरू किया गया है और इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा.

आदिवासी परिवारों को मोदी सरकार की उन योजनाओं के बारे में पंपलेट, लीफलेट और किताबें दी जाएंगी जिनसे उन्हें फायदा हुआ है. बीजेपी एसटी मोर्चा के अध्यक्ष समीर ओरांव ने कहा कि मोर्चा जिन योजनाओं के बारे में इन परिवारों से बात करेगा उनमें उज्जवला योजना, पीएम सम्मान निधि, पीएम आवास, पीएम सिंचाई, जनधन और मुद्रा योजनाएं शामिल हैं.

इस आउटरीच के हिस्से के रूप में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को झारखंड के गिरिडीह की यात्रा की, जहां उन्होंने एक संपर्क बैठक की और एक बैठक को संबोधित किया.

भाजपा ने इस साल के अंत में चुनाव होने वाले मध्य प्रदेश में भी अपने प्रयास तेज़ कर दिए हैं, जहां पार्टी छह दिवसीय रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकाल रही है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे.

वहीं 27 जून को पीएम मोदी शहडोल की यात्रा पर जाने वाले हैं, जहां वह पारकिया गांव में आदिवासी समुदाय, आदिवासी महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत करेंगे और सिकल सेल उन्मूलन कार्यक्रम में आदिवासी महिलाओं के साथ भोजन करेंगे.

बीजेपी के दावे और हकीकत में फ़र्क है

दरअसल,आदिवासियों तक पहुंच की यह कोशिश 2018 में बीजेपी को तीन महत्वपूर्ण राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार का नतीजा भी हो सकती है.

उसके बाद बीजेपी ने लगातार आदिवासी कल्याण की बात की है. लेकिन जब सरकार की घोषणाओं और दावों की पड़ताल करते हैं तो आँकड़े बीजेपी के दावों को साबित नहीं करते हैं.

केंद्र सरकार ने 2018-19 के बजट में 2022 तक देश के हर आदिवासी बहुल इलाके में कम से कम एक एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल बनाने की घोषणा की थी. लेकिन यह घोषणा कागज़ पर ही रह गई है.

अब साल 2023 के बजट में सरकार ने घोषणा की है कि EMRS स्कूलों में 38000 स्टाफ़ की भर्ती होगी. लेकिन यह भर्ती तभी संभव होगी जब 750 ने स्कूल बन चुके होंगे.

2014 में देश के आदिवासियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट सरकार को दी गई थी. यह रिपोर्ट सरकार की नियुक्त की गई एक कमेटी ने ही दी थी.

इस रिपोर्ट में देश के आदिवासियों की जीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुविधाओं से जुड़े अहम मुद्दों को उठाया गया है. लेकिन उस रिपोर्ट पर आज तक किसी मंच पर सरकार ने चर्चा तक नहीं कराई है.

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