आंध्र प्रदेश के एलुरु से एक बाल विवाह का मामला सामने आया है. लेकिन 13 वर्षीय आदिवासी लड़की ने अपनी सूझबूझ से खुद को बाल विवाह से बचाने में कामयाब हुई.
दरअसल मामला आंध्र प्रदेश के एलुरु का है. जहां एक 13 वर्षीय आदिवासी लड़की के पिता के मृत्यु के बाद उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली और अपनी बेटी को उसके दादा, दादी के पास छोड़कर चली गई थी.
उसके दादा, दादी खेती का काम करके घर चलाते थे. लेकिन जब उन्हें परिवार चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था तब उन्होंने अपनी 13 वर्षीय आदिवासी लड़की का विवाह उनके ही शहर के एक व्यक्ति से कराने की बात की. लेकिन लड़की यह विवाह नहीं करना चाहती थी.
जिसके बाद लड़की ने अपनी दोस्त की मदद से शादी रोकने के लिए फेसबुक के माध्यम से जिला कलेक्टर को संदेश भेजा और विवाह को रोकने के लिए अनुरोध किया.
कलेक्टर को सूचना मिलते ही उन्होंने तुरंत जिला बाल संरक्षण अधिकारी सीएच सूर्या चक्रवेनी और चाइल्ड हेल्पलाइन स्टाफ राजेश, श्रीकांत, राजू, प्रसाद और सुनीता को शादी रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया.
जिसके बाद सूर्या चक्रवेणी के अपनी एक टीम को लेकर लड़की के घर पहुंचे और उसके घर के बड़ो से बातचीत की. इसके बाद वे परिवार को कलेक्टर के पास लेकर गए. जहां लड़की के घरवालों को विवाह रोकने को लेकर समझाया गया कि वह अपनी 13 वर्षीय लड़की का विवाह ना कराए.
कलेक्टर लड़की के कन्या विद्यालय भी गए थे. यह जानने के लिए की लड़की पढ़ने में कैसी है. इसके बाद उन्होंने लड़की को साइकिल, स्कूल बैग, यूनिफार्म और किताबें आदि दिया. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार उसकी पढ़ाई पूरी करने के लिए उससे वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.
कलेक्टर वाई प्रसन्ना वेंकटेश ने एक अखबार को कहा कि राज्य सरकार ने सरकारी पदाधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों सहित सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक केंद्रित दृष्टिकोण बनाया ताकि बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्म करने और राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाया जा सके.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा समाज और सरकारी एजेंसिया श्रावण, कार्तिक, मार्गसिरा और माघ महीनों के दौरान अधिक सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि इस समय बहुत सामूहिक विवाह होते हैं.