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झारखंड: आदिवासियों के विकास के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार कर रही सोरेन सरकार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी गांवों में सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार करने की योजना बनाई है.

आदिवासी इलाकों में कई समस्या होने के साथ ही बहुत सारी बीमारियां भी है. यह बीमारियां इन इलाकों में पौष्टिक आहार, साफ पानी, शौचालय, सड़क और बस्तियों से दूर अस्पताल होने के कारण होती है.

वहीं झारखंड सरकार जल्द इन्हीं समस्याओं को दूर करने के मकसद से ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार कर रही है. इसका उद्देश्य आदिवासियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ प्रभावी तरीके से पहुंचाना है.

क्या है ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस

ऐसा कहा जा रहा है की इसके प्रथम चरण में अति कमजोर आदिवासी समुदाय (पीवीटीजी) का बेसलाइन सर्वे किया जाएगा और साथ-साथ मैपिंग की जाएगी. इसके लिए आदिवासी गांवों की बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान स्थिति और विकास करने में क्या दिक्कतें आ रही है.

इन सब बातों का पता लगाने के लिए हर गांव और टोला में शिक्षा, कौशल क्षमता, रोजगार, आय, जीवनस्तर आदि के संबंध में ब्यौरा तैयार किया जाएगा.

आसान शब्दों में कहा जाए तो इस ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस को लागू करने से पहले सर्वे के जरिए यह देखा जाएगा कि कमियां कहां पर है ताकि इसका कार्यान्वन अच्छे से हो सके.

इसके अलावा राज्य के सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर आदिवासी कल्याण विभाग ने इस योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.

इस योजना के अंतर्गत अगस्त 2024 तक राज्य में चिन्हित किए गए 67 हज़ार PVTG परिवार और 3,705 गांवों की करीब 2,92,359 लोगों के लिए विकास किया जा सके.

डिजिटल एटलस के फायदे

झारखंड सरकार की ओर से बताया गया है कि जनजातीय समूह के लोगों को पक्के आवास, स्वच्छता, पाइपलाइन के जरिए शुद्ध पेयजल, बिजली या सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस और ई-श्रम का लाभ, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी तक पहुंच.

शिक्षा, सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता, हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी, मोटर बाइक एम्बुलेंस/मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, वनोत्पाद आधारित आजीविका सहित अन्य सुविधाओं से जोड़ने की योजनाएं डिजिटल एटलस की मदद से प्रभावी तरीके से पहुंचाई जा सकेंगी.

अगर यह योजना जमीनी स्तर पर सरकार के प्लैन के मुताबिक लागू होती है तो यह आदिवासियों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने का काम करेगी.

इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत 8 पीवीटीजी समुदाय के युवक-युवतियों को निःशुल्क आवासीय कोचिंग दी जाएगी.

इन पीवीटीजी समुदायों में असुर, कोरबा, माल पहाड़िया, बिरहोर, सबर, बिरजिया, सौर पहाड़िया शामिल हैं.

इसके पहले चरण में 150 युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा और इसमें 60 से अधिक युवतियां शामिल होंगी.

पीवीटीजी समुदाय के लिए यह देश का पहला आवासीय कोचिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा. राज्य सरकार के मुताबिक डिजिटल एटलस तैयार होने के बाद ऐसी योजनाओं को और गति दी जा सकेगी.

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार काफी समय से एक के बाद एक आदिवासियों के लिए कई सारी योजनाएं लेकर आ रही है.

अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी गांवों को एक दूसरे से परिवहन की सहायता से जोड़ने के लिए एक योजना को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की थी. जिसका नाम मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना है.

इस योजना के अंतर्गत यह दावा किया गया है की सभी आदिवासी इलाकों और बस्तियों को आपस में जोड़ने वाली एक रुट तैयार कर उस पर परिवहन चलाई जाएगी.

इसके लिए बकायदा मोबाईल ऐप लॉन्च करने की भी योजना है साथ ही पहले चरण में 250 बसें चलाने का दावा किया गया है.

अब देखना यह है की राज्य सरकार द्वारा लाई जा रही इन योजनाओं से आदिवासियों को कितना लाभ होगा और जमीनी स्तर पर यह योजनाएं कितनी जल्दी लागू होगी.

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